Friday, 27 October 2023

कविता. ४९७२. दास्तानों की परख संग।

                             दास्तानों की परख संग।

दास्तानों की परख संग सरगम सुनाती है सपनों को एहसासों की कहानी सौगात दिलाती है लहरों को इशारों की समझ अफसाना सुनाती है।

दास्तानों की परख संग अरमान सुनाती है नजारों को दिशाओं की कोशिश अल्फाज दिलाती है कदमों को अदाओं की पुकार अफसाना सुनाती है।

दास्तानों की परख संग आवाज सुनाती है आशाओं को बदलावों की मुस्कान तलाश दिलाती है किनारों को अंदाजों की पहचान अफसाना सुनाती है।

दास्तानों की परख संग खयाल सुनाती है जज्बातों को आशाओं की लहर अहमियत दिलाती है नजारों को दिशाओं की तराना अफसाना सुनाती है।

दास्तानों की परख संग सपना सुनाती है कदमों को अदाओं की आस सौगात दिलाती है उजालों को अरमानों की उमंग अफसाना सुनाती है।

दास्तानों की परख संग सौगात सुनाती है तरानों को राहों की पहचान सोच दिलाती है बदलावों को लम्हों की आहट अफसाना सुनाती है।

दास्तानों की परख संग उम्मीद सुनाती है लहरों को किनारों की रोशनी सहारा दिलाती है अरमानों को राहों की सौगात अफसाना सुनाती है।

दास्तानों की परख संग उमंग सुनाती है दिशाओं को आवाजों की धून सुबह दिलाती है लम्हों को खयालों की मुस्कान अफसाना सुनाती है।

दास्तानों की परख संग आस सुनाती है बदलावों को अंदाजों की उम्मीद रोशनी दिलाती है आशाओं को कदमों की सोच अफसाना सुनाती है।

दास्तानों की परख संग एहसास सुनाती है जज्बातों को उम्मीदों की कहानी समझ दिलाती है दिशाओं को इशारों की समझ अफसाना सुनाती है।

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