Sunday, 15 October 2023

कविता. ४९६०. जज्बातों की एक लहर।

                               जज्बातों की एक लहर।

जज्बातों की एक लहर एहसास कोई सुनाती है आवाजों की सरगम आसमान को छूं जाती है अदाओं की कोई पुकार नयी सुबह की उमंग लाती है।

जज्बातों की एक लहर मुस्कान कोई सुनाती है अरमानों की आहट कदमों को छूं जाती है किनारों की कोई कहानी नयी राह की उमंग लाती है।

जज्बातों की एक लहर अल्फाज कोई सुनाती है अंदाजों की परख इशारों को छूं जाती है दास्तानों की कोई सरगम नयी तलाश की उमंग लाती है।

जज्बातों की एक लहर आस कोई सुनाती है तरानों की समझ अरमानों को छूं जाती है अरमानों की कोई कोशिश नयी रोशनी की उमंग लाती है।

जज्बातों की एक लहर सरगम कोई सुनाती है कदमों की सौगात दास्तानों को छूं जाती है नजारों की कोई उम्मीद नयी अदा की उमंग लाती है।

जज्बातों की एक लहर पहचान कोई सुनाती है दिशाओं की राह अफसानों को छूं जाती है बदलावों की कोई सौगात नयी तराने की उमंग लाती है।

जज्बातों की एक लहर आवाज कोई सुनाती है सपनों की आस किनारों को छूं जाती है अदाओं की कोई पुकार नयी समझ की उमंग लाती है।

जज्बातों की एक लहर दास्तान कोई सुनाती है नजारों की कहानी अरमानों को छूं जाती है आशाओं की कोई नयी सुबह की उमंग लाती है।

जज्बातों की एक लहर कोशिश कोई सुनाती है इशारों की समझ खयालों को छूं जाती है अल्फाजों की कोई नयी नजारे की उमंग लाती है।

जज्बातों की एक लहर अंदाज कोई सुनाती है किनारों की पुकार अफसानों को छूं जाती है आवाजों की कोई नयी सपनों की उमंग लाती है।

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