Tuesday 31 October 2023

कविता. ४९७६. किसी नजारे की आहट से।

                              किसी नजारे की आहट से।

किसी नजारे की आहट से सौगात इशारा देती है लहरों की आवाज अक्सर खयालों को किनारा देती है जज्बातों को अंदाजों की परख दिलाती है।

किसी नजारे की आहट से अंदाज इरादा देती है कदमों की सोच अक्सर बदलावों को अफसाना देती है किनारों को अल्फाजों की परख दिलाती है।

किसी नजारे की आहट से आशाएं लहर देती है किनारों की राह अक्सर आवाजों को दास्तान देती है अफसानों को आशाओं की परख दिलाती है।

किसी नजारे की आहट से अदा मुस्कान देती है आवाजों की धून अक्सर लहरों को सुबह देती है अरमानों को दिशाओं की परख दिलाती है।

किसी नजारे की आहट से पहचान तराना देती है आवाजों की आस अक्सर जज्बातों को आस देती है अदाओं को सपनों की परख दिलाती है।

किसी नजारे की आहट से सोच कोशिश देती है तरानों की सुबह अक्सर आशाओं को रोशनी देती है लहरों को खयालों की परख दिलाती है।

किसी नजारे की आहट से सरगम पुकार देती है अदाओं की उमंग अक्सर एहसासों को कहानी देती है दास्तानों को राहों की परख दिलाती है।

किसी नजारे की आहट से उमंग अल्फाज देती है अंदाजों की उम्मीद अक्सर आवाजों को धून देती है तरानों को किनारों की परख दिलाती है।

किसी नजारे की आहट से आस कोशिश देती है अफसानों की समझ अक्सर खयालों को\ मुस्कान देती है कदमों को उजालों की परख दिलाती है।

किसी नजारे की आहट से राह अरमान देती है जज्बातों की सरगम अक्सर तरानों को कोशिश देती है किनारों को अंदाजों की परख दिलाती है।

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