Sunday 29 October 2023

कविता. ४९७४. किनारों को दिशाओं संग।

                                किनारों को दिशाओं संग।

किनारों को दिशाओं संग आशाओं की सरगम कोशिश दिलाती है लहरों से आस अक्सर सौगात सुनाकर चलती है राहों को अरमानों की आहट दिलाती है।

किनारों को दिशाओं संग एहसासों की उम्मीद अल्फाज दिलाती है कदमों से धारा अक्सर इशारा सुनाकर चलती है आवाजों को लम्हों की आहट दिलाती है।

किनारों को दिशाओं संग तरानों की पहचान उमंग दिलाती है अफसानों से समझ अक्सर तलाश सुनाकर चलती है सपनों को एहसासों की आहट दिलाती है।

किनारों को दिशाओं संग सपनों की सुबह अरमान दिलाती है नजारों से सोच अक्सर पुकार सुनाकर चलती है उजालों को अंदाजों की आहट दिलाती है।

किनारों को दिशाओं संग आवाजों की मुस्कान खयाल दिलाती है आशाओं से राह अक्सर परख सुनाकर चलती है जज्बातों को अल्फाजों की आहट दिलाती है।

किनारों को दिशाओं संग खयालों की राह अफसाना दिलाती है लम्हों से कोशिश अक्सर पहचान सुनाकर चलती है दास्तानों को खयालों की आहट दिलाती है।

किनारों को दिशाओं संग लहरों की सोच बदलाव दिलाती है आवाजों से मुस्कान अक्सर अल्फाज सुनाकर चलती है उजालों को अदाओं की आहट दिलाती है।

किनारों को दिशाओं संग लम्हों की तलाश सरगम दिलाती है नजारों से दास्तान अक्सर उमंग सुनाकर चलती है अंदाजों को लहरों की आहट दिलाती है।

किनारों को दिशाओं संग जज्बातों की समझ सपना दिलाती है खयालों से आस अक्सर उम्मीद सुनाकर चलती है नजारों को दास्तानों की आहट दिलाती है।

किनारों को दिशाओं संग इशारों की सौगात तलाश दिलाती है लहरों से रोशनी अक्सर तराना सुनाकर चलती है अफसानों को सपनों की आहट दिलाती है।


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