Wednesday, 18 October 2023

कविता. ४९६३. जज्बात को मुस्कान की।

                              जज्बात को मुस्कान की।

जज्बात को मुस्कान की कहानी एहसास दिलाती है लहरों को इशारों की रोशनी खयाल सुनाती है लम्हों को दास्तानों की पहचान दिलाती है।

जज्बात को मुस्कान की पुकार अरमान दिलाती है नजारों को अफसानों की समझ कोशिश सुनाती है तरानों को दिशाओं की पहचान दिलाती है।

जज्बात को मुस्कान की सोच अफसाना दिलाती है उजालों को सपनों की सरगम तलाश सुनाती है आशाओं को बदलावों की पहचान दिलाती है।

जज्बात को मुस्कान की समझ किनारा दिलाती है उम्मीदों को कदमों की आहट आवाज सुनाती है इरादों को अदाओं की पहचान दिलाती है।

जज्बात को मुस्कान की राह रोशनी दिलाती है तरानों को अरमानों की कहानी पुकार सुनाती है अंदाजों को नजारों की पहचान दिलाती है।

जज्बात को मुस्कान की कोशिश लम्हा दिलाती है बदलावों को नजारों की सोच सरगम सुनाती है आशाओं को कदमों की पहचान दिलाती है।

जज्बात को मुस्कान की आस अल्फाज दिलाती है किनारों को अंदाजों की उमंग खयाल सुनाती है एहसासों को दास्तानों की पहचान दिलाती है।

जज्बात को मुस्कान की सौगात तराना दिलाती है इशारों को आशाओं की लहर परख सुनाती है अफसानों को लम्हों की पहचान दिलाती है।

जज्बात को मुस्कान की सुबह सपना दिलाती है खयालों को दिशाओं की सरगम अल्फाज सुनाती है उजालों को अदाओं की पहचान दिलाती है।

जज्बात को मुस्कान की उम्मीद लहर दिलाती है एहसासों को अदाओं की कहानी अहमियत सुनाती है कदमों को तरानों की पहचान दिलाती है।


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