Sunday 1 October 2023

कविता. ४९४६. दास्तानों को आशाओं की।

                           दास्तानों को आशाओं की।

दास्तानों को आशाओं की मुस्कान अल्फाज देती है जज्बातों को कदमों की आहट आस देकर जाती है अंदाजों से नजारों की कहानी दिलाती है।

दास्तानों को आशाओं की सोच अफसाना देती है उजालों को सपनों की सुबह एहसास देकर जाती है किनारों से अल्फाजों की कहानी दिलाती है।

दास्तानों को आशाओं की रोशनी सुबह देती है कदमों को इशारों की सौगात बदलाव देकर जाती है एहसासों से अदाओं की कहानी दिलाती है।

दास्तानों को आशाओं की सौगात तलाश देती है अल्फाजों को उम्मीदों की समझ किनारा देकर जाती है खयालों से लहरों की कहानी दिलाती है।

दास्तानों को आशाओं की लहर खयाल देती है किनारों को लम्हों की आहट सहारा देकर जाती है जज्बातों से इरादों की कहानी दिलाती है।

दास्तानों को आशाओं की राह उमंग देती है अरमानों को दिशाओं की कोशिश तराना देकर जाती है इशारों से कदमों की कहानी दिलाती है।

दास्तानों को आशाओं की सरगम लम्हा देती है खयालों को बदलावों की सोच अफसाना देकर जाती है सपनों से राहों की कहानी दिलाती है।

दास्तानों को आशाओं की अदा उजाला देती है सपनों को अरमानों की आहट पहचान देकर जाती है आवाजों से उजालों की कहानी दिलाती है।

दास्तानों को आशाओं की तलाश समझ देती है तरानों को उम्मीदों की आस अहमियत देकर जाती है अंदाजों से खयालों की कहानी दिलाती है।

दास्तानों को आशाओं की आस सौगात देती है किनारों को अंदाजों की परख अहमियत देकर जाती है कदमों से धाराओं की कहानी दिलाती है।

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