Thursday 1 October 2015

कविता २२९. जीवन के अंदर कि बातें

                                           जीवन के अंदर कि बातें
किसी तरह जो हम जीवन के अंदर बातों को समज लेते है जीवन के किसी मोड़ को आख़िर मे परख लेते है पर तभी जिन्दगी जीवन को नये नये मोड़ हर बार देती है
जिन्दगी हर बार हमे आगे ले जाती है जीवन तो एक धारा कि तरह है जो सिर्फ़ आगे बढ़ता है और हमे हर बार पीछे छोड़ता रहता है जीवन को हर बार जो परखे हर मौका जाया लगता है
जीवन को हर बार जो समजे वह आगे बढ़ता जाता है जीवन तो वह कहानी है जिसे हम हर बार समजा करते है जीवन का हर किस्सा मन से जी लिया करते है
जीवन को हर बार जो हम अच्छे से समजा करते है जीवन के अगले मोड़ को देख अचरज मे पड़ जाते है जीवन को हर बार जो समजे वह हमेशा अधूरा पाते है
जिन्दगी के हर मोड़ को समज लेना चाहते है पर जो हर पल बदल जाये उसे हम कैसे जी सकते है जीवन कि उस धारा मे जिसमें लोग जीते है उसे हम जाने कैसे समज सकते है
जीवन तो हर मोड़ पर अलगसा असर कर जाता है जीवन हर बार कुछ उम्मीदें लाता है जीवन को परख लेना मन को हर बार भाता है पर जब जीवन अलग दिशा मे निकल जाता है
वह हर बार मन मे कोई ना कोई ख़ुशी तो ज़रूर रख जाता है जीवन तो हर बार हमे नई साँसें दे जाता है पर जब हमारी सोच से कुछ अलग हो जाता है
अच्छा और प्यारा जीवन भी मुश्किल ही नज़र आता है क्योंकि जो सोचा था उस सोच से जीवन अलग नज़र आता है जीवन एक अलग किसम कि धारा बनता जाता है
जीवन को परखे तो उसमें अलग मज़ा आता है जीवन मे तो हर एक मोड़ पर एहसास अलग दिखाता है पर जब हमने कुछ सोचा हो उस सोच से एहसास अलग नज़र आता है
जीवन को आगे बढ़ने दो उस मे अपनी सोच से चाहा ना माँगे तो जीवन प्यारा नज़र आता है वह हर मोड़ पर हर राह मे ग़म नहीं होता क्योंकि गमों को समज लेना हमे आसान नज़र आता है

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