Friday, 16 October 2015

कविता २५९. सोने सी सोच

                                              सोने सी सोच
कभी सोचा तो मन से अलग ख़याल मन को छू जाता है उस ख़याल को समज लेना हर बार काम आता है जीवन कि हर मोड़ पर जीवन नई शुरुआत देता है उस ख़याल को परख लेना जीवन मे आता है
जीवन के अंदर अलग सोच जब जिन्दा होती है उस सोच के अंदर जीवन का हर कदम बदलसा जाता है जीवन के हर मोड़ का हर रंग अलग रोशनी देता है
उस जीवन को समज लेना जीवन कि धारा को आगे ले जाता है पर बड़ा मज़ा तो तब आता है जब पुराना असर जीवन पर हो जाता है जीवन अपनी धारा मे नया रंग लाता है
कभी कभी पुराना किस्सा भी बार बार याद आता है उसे दोहराने से जीवन मे ख़ुशियाँ आती है उसे बार बार दोहराये यह सही सोच होती है जो दुनिया का अलग रंग दिखाती है
जीवन कि हर सोच जो हमे ख़ुशियाँ लाती है उसे परख लेने से दुनिया नया रंग दिखाती है हर सोच के अंदर रोशनी आती और जाती है तो कभी पुरानी सोच जो खो चुकी होती है
वह एक बार जीवन मे फिर से रोशनी लाती है जिसे परख लेना जीवन कि ज़रूरत होती है जीवन को फिर से पुराने तरीक़े से जीने कि ज़रूरत होती है
कभी कभी पुरानी कहानी दोहरानी ज़रूरी है कभी कभी उसे जीवन से हटाना ज़रूरी है कब क्या करना है यह समज जीवन मे लानी हर बार ज़रूरी होती है
क्या फिर से समजे और क्या फाड़ दे यह समज लेने कि कहानी ज़रूरी होती है पुरानी और नई सोच कि बड़ी अजीब कहानी होती है जिसे बार बार जो हम परखे तो अलग निशानी बनती है
पुरानी सोच को दोहराने कि सही कहानी भी होती है हर पुरानी चीज़ पुरानी नहीं पर कभी कभी सही कहानी को भी जिन्दा करती है क्योंकि सोच अगर सोने कि हो तो वह सोच भी कभी पुरानी नहीं लगती है
उसे बार बार जो बदले या ना बदले उसकी किंमत सुहानी ही है रहती सोच के अंदर जीवन कि अलग कहानी है बनती अगर जीवन को परखे तो हर बार वह सोच सुनहरी लगती है

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