Monday 26 October 2015

कविता २७९. जगह के अंदर कि नई बात

                                     जगह के अंदर कि नई बात
जगह के अंदर नई बात शुरुआत होती है अगर समज लेते है तो दुनिया हर बार परख लेती है जीवन के नये एहसास के अंदर कुछ अलग बात होती है
जिसे जब हम समज लेते है उन बातों से ही तो दुनिया कि नई पेहचान होती है हर मोड़ पर दुनिया हर बार दिखती है पर वह अलग अलग एहसास देती है
हर जगह जीवन मे नई सोच तो असर करती है अलग अलग जगह पर कुछ तो असर होता है जीवन मे सही तरह का फ़र्क़ जीवन के अंदर धीरे से होता है
नई जगह पर नई सोच का आना जाना होता है पर अगर हम उसे नहीं अपना पाते है तो जगह का क्या मतलब होता है जो हर पल अलग सोच देता है
जगह तो जीवन पर असर करती है पर उसकी सोच को ना समजे तो जगह का मतलब नहीं बचता जगह को परखना ही सबसे ज़रूरी होता है
हर जगह का मतलब उसके होने के अंदर ही होता है जगह मे मतलब समज लेना और आजमाना हर बार ज़रूरी है जगह के अंदर अलग एहसास होता है
जीवन को परख लेना जगह पर निर्भर होता है जिसे समज लेना जीवन को अलग साँस देता है जीवन मे अलग अलग सोच को अपना लेने से ही जीवन आगे बढ़ता है
जगह के नई सोच कि शुरुआत होती है वह हर बार ज़रूरी होती है जगह के अंदर ही तो इन्सान रहता है जब वह उस सोच को समज ले कर आगे बढ़ता है
जीवन मे जगह को परख लेना ज़रूरी होता है जीवन मे हर जगह को परख लेना ज़रूरी होता है हर जगह कि सोच के अंदर अलग एहसास ज़रूर होता है
हर जगह हर सोच मे ही तो जीवन को एहसास होता है जो जीवन को आगे ले जाता वही उस सोच को समज पाता है जो अलग अलग तरीक़े से हमे जीवन समजा लेता है

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