Wednesday 7 October 2015

कविता २४०. जीवन का मोड़

                                                                  जीवन का मोड़
चलते चलते सोचा हमने क्यूँ न जीवन को फिर जी लेते है हर सोच के अंदर नई उम्मीद रखे तो हम समज लेंगे हम कैसे जी लेते है जीवन के अंदर हम नई सोच जी लेते है
जीवन के हर मोड़ को हम ख़ुशियों के संग जी लेते है उस मोड़ को पानी कि तरह हम पी लेते है शायद हर मोड़ हमारे जीवन मे पानी कि तरह ज़रूरी होता है
हम चाहे या ना चाहे वह जीवन के लिए ज़रूरी होता है वह हर बार हमारी जीवन कि मजबूरी होता है जीवन के अंदर एक एहसास ज़रूरी होता है
जो जीवन को हर बार और हर मोड़ पर समजे तो उस मोड़ के अंदर जीवन को भी परख लेते है जीवन हर मोड़ पर अलग रंग देता है उस जीवन को हम समज लेते है
जीवन कई मोड दिखाता है उन्हें समज लेना रास नहीं आता है पर फिर भी जीवन हर बार अहम होता है जीवन के अंदर अलग एहसास होता है
अलग अलग मोड़ जो जीवन के अंदर अलग एहसास जो हमें आगे ले जाता है उसे समज लेना जरुरी होता है हर मोड़ को हँसकर समज लेना मज़बूरी होता है
जीवन को बार बार परखना भी जीवन का एक आभास होता है जीवन अलग रूपों में हर बार मिलता है जो हमें खुशियाँ दे जाता है
जीवन के अलग अलग तरह के मोड़ जीवन को एहसास जो मन को छू लेता है हर बार जीवन के अंदर कुछ तो समज लेना जरुरी होता है
मोड़ के साथ जीवन रंग हर बार हमे एहसास देता है क्योंकि जीवन में मोड़ अलग अलग सोच होती है कुछ सोच सही लगती है पर कुछ सोच गलत होती है
हर पल में जीवन का एहसास होता है इसलिए जीवन में नया एहसास हमें जिन्दा रखता है हर मोड़ के अंदर खुशियाँ होती है गलत मोड़ को बदलने की कोशिश में ही खुशियाँ होती है 

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