Friday 30 October 2015

कविता २८७. उडान

                                                                 उडान
कहा दिल कि बात आसानी से समज आती है क्योंकि हमारा दिल तो बस उड़ान आसमानी चाहता है कभी ना यह रुका है कभी ना यह झुका है पर जीत से भी उसे न जोड़ना चाहता है
कभी तो यह उड़ान जो हमने दिल से लियी है उसके अंदर जीवन कि मुस्कान दिखती है कोई सोच नहीं होती बस एक चाहत होती है वहाँ तक पहूँचने कि ज़रूरत होती है
दिल के अंदर हर बार हम दुनिया समज लेते है उसे समज लेने से जीवन का एहसास हर बार दुनिया बदल लेती है पर वह मन कि उड़ान दुनिया नहीं समज सकती है
उस उड़ान को कोई कितना भी रोकना चाहे उस उड़ान से ही तो हमारी दुनिया बनती है तो उस उड़ान को जिसमें दुनिया कि हस्ती बनती है उसे परख लेने कि जीवन को चाहत होती है
उंची उडान जीवन का अपना ही मज़ा देती है उसकी चाहत ही जीवन का असली मज़ा देती है जीवन कि चाहत हर बार अलग मतलब दे जाती है वह जीवन मे हर पल उम्मीदें दे जाती है
उड़ान तो आसमान तक जब जब ले जाती है हमारे जीवन मे उम्मीदें आती है जिन्हें परख लेने कि चाहत दुनिया कि परवाह से ज़्यादा खुद के ख्वाबों मे जीना सिखाती है
आसमान के अंदर कोई तो एहसास होता है हमने जब जब सोचा है जीवन मे अलग ख़याल जिन्दा होता है जब उस उड़ान को जीवन मे मतलब होता है
जिसे हर बार जीवन चाहता है उस उड़ान मे तो हमारा मन बेहलता है जो जीवन को हर बार रोशनी दे जाता है उड़ान के अंदर अलग एहसास हर बार होता है
उड़ान के अंदर आसमान को छू लेने कि चाहत होती है क्योंकि वही तो दुनिया मे उम्मीदें देती है जीवन मे नया उजाला दे जाती है जीवन मे हर बार उम्मीदें आती जाती है
उड़ान तो उनका एहसास भुला देती है जीवन को सिर्फ़ उड़ान कि उम्मीद जगाती है जो खोई हुई उम्मीदें भी ले आती है क्योंकि कि वह उड़ान जीत कि नहीं जीने कि चाहत जगाती है

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