Sunday 25 October 2015

कविता २७६. गीतों के अंदर कि सोच

                                                   गीतों के अंदर कि सोच
गीतों के अंदर हर बार सोच नई लगती है जिसमें दुनिया कि कोशिश अलग बनती है गीतों के अंदर एहसास वह छुपा रहता है जो गीतों के अंदर एक सोच जगा देता है
उस सोच को अगर परखे जिसमें गीत जिन्दा रहता है उस गीत के भीतर एक सोच का असर जगा रहता है गीतों को समजे तो जीवन का मतलब दिखता है
गीतों के अंदर हर मोड़ मे अलग सोच का किनारा रहता है जिसे समज लेना जीवन को मक़सद देता है हर गीत के अंदर जो एहसास है उसे मन फुरसत मे समज जाता है
जीवन के हर राह को कभी कभी जीवन जिन्दा करता है जीवन को समज लेना एक एहसास देता है राह मे जीवन जो बात बदलता है चुपके से गीत उसे कहता है
गीतों के अंदर अलग अलग तरह का जो एहसास जीवन को जिन्दा रखता है उसे समज लेना जीवन का एक एहसास बनता है जीवन के हर मोड़ को जीवन कहा परख लेता है
गीतों के हर मतलब का एक अलग अंजाम होता है क्योंकि जितने आसानी से गीत चीज़ों को समज लेता है गीतों के अंदर एक विश्वास होता है जो जीवन को अलग एहसास दे जाता है
गीतों कि हर झंकार मे जीवन का नया एहसास होता है जिसे परख लेना जीवन के लिए कुछ ज़्यादा ख़ास होता है गीतों के हर लब्ज को जीवन बन के परख लेते है
गीतों के हर धुन मे जीवन कि आस छुपी रहती है अगर गीतों को समज लेते है तो उनमें उम्मीद सजी मिलती है गीत हर बारी जीवन का साथ निभाते है
उनका संगीत हमे भाये या ना भाये वह हमे समजाते रहते है जीवन कि नई आस बताते रहते है संगीत के हर एहसास को अंदर से जीते रहते है हम हर संगीत जीवन को समज लेते है
पर यह गीत जीवन को अलग एहसास हर बार देते है वह समजे चाहे या न चाहे वह जीवन पर हर बार असर जाते है जिन्हें हम हर बार जीवन मे समज लेना ज़रूरी होता है

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