Sunday 25 October 2015

कविता २७७. धीमे धीमे जल्दी जल्दी

                                          धीमे धीमे जल्दी जल्दी
धीमे धीमे जीवन हमे कुछ ना कुछ सिखाता रहता है पर हर बार उसे समज लेने का मज़ा कुछ और ही होता है जीवन के हर मोड़ का एक अलग ही मतलब होता है
धीमे से आगे बढ़ जाना जीवन कि ज़रूरत होता है जीवन के हर कदम मे उम्मीद का एहसास जीवन धीमे से सिखाता है आगे बढ़ना जीवन कि ज़रूरत होता है
धीमे से आगे बढ़ना शुरुआत होती है जिसे जीवन कि नई सुबह दिखती है रुक चलने से जीवन को मतलब मिल जाता है धीमे से जीवन का एहसास ख़ुशियाँ लाता है
जो जीवन को धीमे से आगे ले जाता है पर उस धीमे से चलने मे भी बात है होती जीवन जब आगे बढ़ता है तब उसे समज लेने कि हमारे दिल का हर पल उम्मीद होती है
जल्दबाज़ी कई बार काम बिगाड़ देती है पर कभी कभी धीमे कि जगह तेजी से जीवन कि बात भी बनती है पर फिर भी उस सोच कि बजह से जल्दबाज़ी अच्छी नहीं होती है
क्योंकि जब जल्दबाज़ी से हम आगे बढ़ते है तो उसके अलावा कोई भी तरीक़ा जीवन पर असर कर जाता है जीवन तो धीमे से चलता है जल्दबाज़ी से माना जीवन आसानी से आगे बढ़ जाता है
नया तरीक़ा जो जीवन को आस देता है धीमे से जीवन को सोच जीवन पर धीमा असर हर बार होता है जो जीवन को एहसास नया देता है जल्दबाज़ी से काम जल्दी होता है
पर उस काम का सही सोच से सही असर होता है जीवन जब धीमे से आगे जाता है वह सही तरीक़े से जीवन आगे बढ़ जाता है धीमे से जीवन आगे बढ़ जाता है
धीमे और जल्दी दो जीवन के तरीक़े होते है कुछ सही तो कुछ ग़लत भी जीवन मे होता रहता है जो जीवन पर हर असर कर जाता है जल्दी का और धीमे का दोनो रास्तों का असर जीवन पर होता है
तो ठीक से जीवन आगे बढ़ता है ज़रूरी होता है धीमे और जल्दी दोनों से जीवन पर कुछ तो असर होता है तो जीवन पर परख लेना ज़रूरी होता है सही तरीक़े से जीवन तो आगे बढ़ जाता है

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