Wednesday, 28 October 2015

कविता २८३. सच्चाई और अच्छाई

                                              सच्चाई और अच्छाई
कभी बात को कहना थोड़ा मुश्किल होता है बिन कहे समज लेना मुमकिन होता है बात के अंदर कि बातों को समज लेना जीवन मे उन्हीं बातों को कहना मुश्किल होता है
परख लेने से बात आगे तो चली जाती है पर उस बात के छुपे जसबात को समज लेना थोड़ा मुश्किल होता है जीवन कि हर घड़ी मे अलग रंग तो दिखते है
पर हर रंग के अंदर कि सोच को समज लेना ज़रूरी होता है छुपी सोच को समज लेना मुमकिन होता है जीवन के अंदर अलग एहसास होते है जिन्हें समज लेना मुश्किल होता है
सोच के अंदर ख़याल जो जीवन को जिन्दा करते है उन्हें परख लेना जीवन मे ज़रूरी होता है मुश्किल से हम जीवन मे आगे बढ़ते सच कह के तोड़ना मुश्किल लगता है
सोच जो जीवन पर असर कर जाती है वही तो जीवन मे रोशनी लाती है और सच्चाई कि सोच सबसे बड़ी ताकद होती है जो चाहे पहले पीछे ले जाए पर आख़िर आगे ही लाती है
मुश्किल से जीवन का एहसास जो दुनिया दे जाती है उसे समज लेने से ही तो दुनिया मे ख़ुशियाँ आती है माना कि सच्चाई की राह बड़ी मुश्किल होती है पर उसे कह देने से ही दुनिया बनती है
सच्चाई अक्सर जीवन को आगे ले जाती है वही तो मुश्किल से हासिल हो जाती है आसान लगता है आगे बढ़ना पर सच्चाई कि राह हर बार सही कह लाती है
हर बार सच्चाई तो जीवन को आगे ले जाती है सच्चाई से हि जीवन कि उम्मीदें आगे ले जाती है वह तो सच्चाई से जीवन पर असर हर बार कर जाती है
सच्चाई से ही नई पेहचान जीवन को मिलती है जो हर बार जीवन को एहसास सही देती है वह और कुछ नहीं जीवन कि सच्चाई होती है जिस कि बजह से कितनी मुसीबतें क्यूँ न आये वही सही होती है
सच्चाई के लिए कितना भी पीछे क्यूँ न चले जाए पर सच्चाई ही तो आख़िर अच्छाई होती है वह जीवन मे हर बार नई शुरुआत जीवन को आसानी से दे जाती है

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