Wednesday 7 October 2015

कविता २४१. ग़लत को सही मे बदलना

                                                        ग़लत को सही मे बदलना
क्या सही है क्या गलत हम हर बार जीवन को परख लेते है हर बार आसानी से नहीं पर मुश्किल से जीवन को समजते है
कभी कभी सही सोच जीवन में उम्मीदें दे जाती है वही तो जीवन का अलग मतलब समजाती है जब जब हम जीवन को परखे हमे एहसास यही होता है 
जीवन का बदलाव जीवन को हर बार बदल देता है जीवन के हर वार का मतलब बदल देता है जीवन के अंदर एहसास तो देता है 
पर वह सही और गलत समजना मुश्किल कर देता है जीवन के दो कोनों को समज लेने का एहसास वह देती है फिर जीवन को परख लेने का एहसास वह देती है 
सही और गलत का फर्क वह बताती है जीवन का कुछ अलग ही मतलब जगाती है वह सोच ही जीवन में सबसे अहम होती है 
जो जीवन को सही दिशा दे वह सोच को ही परख लेना जीवन की सही शुरुआत होती है जीवन को सही दिशा दे वही जीवन की सही आस होती है 
चाहे जितना ना कहे पर जीवन में एक प्यास होती है सही और ग़लत हर बार समज लेने कि जीवन मे तलाश होती है
कभी कभी उस तलाश मे जीवन का एहसास छुपा होता है उस हर ग़लत को सही मे बदल देने कि तलाश रहती है
पर वह राह नहीं समज पाते जिसमें वह प्यास होती है जीवन को समज लेने कि एक आस सी होती है जिसे समजे तो जीवन मे प्यास होती है
ग़लत को सही मे बदल देने कि एक प्यास जो मन को छूती है हमारे मन को उस सोच कि हर पल एक आस ही रहती है

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