Sunday 11 October 2015

कविता २४९. जीवन की हर चीज़ को चाहना

                                                          जीवन की हर चीज़ को चाहना
तरह तरह की चीजों मे कोई तो मतलब होता है उन्हें परखे तो जीवन का अलग ही असर हो जाता है जीवन के हर चीज़ का मतलब तो होता है उस मतलब को समजे तो ही जीवन में मजा आता है
हर चीज़ को परखे तो हर चीज़ के अंदर कुछ तो एहसास होता है चीज़ों के बीच में कुछ तो एहसास छुपा होता है जीवन में नया असर होता है
उन चीजों के साथ जीवन को समज लेना आसान नहीं होता पर वह जरुरी बन जाता है जीवन की मज़बूरी बन जाता है
चीजों को चाहो या ना चाहो उनका होना जरुरी हो जाता है उन्हें समजना मज़बूरी हो जाता है पर उस पल को क्यों रोये जिसका होना जरुरी हो जाता है
अगर उसे ख़ुशी से जी लेते है तो वही जीवन में सही बन जाता है जो हमने समजा और हमने परखा उस से भी सच्चाई को समजना ज्यादा  जरुरी होता है
उसे परखो तो जीवन खुशियाँ दे जाता है क्योंकि जब गम को परखो और उन संग जीना सीखो तो जीवन हर मज़बूरी भुला देता है
जो यह कर पाया उसके घर गम कम ही दस्तक देता है जीवन को हर बार जो समजे तो सही सोच से समजे तो ही जीवन खुशियाँ दे पाता है
जीवन के हर मोड़ को सुनहरा बनाता है जीवन के हर मोड़ को समज लेना जरुरी होता है क्योंकि आसान चीज़ नहीं वह मुश्किल से ही संभलता है
तो खुशियाँ और ग़मों में दोनों में जो जी सकता है उसको ही जीवन मतलब दे जाता है जीवन की इस कश्ती में हर रोज नया रंग आता है
पर अगर हम जीवन को सही तरीके से चाहे तो ही वह सही राह दिखाता है जीवन की हर चीज़ को चाहना हर बार जरुरी होता है 

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