Saturday, 10 October 2015

कविता२४७. साथी

                                            साथी
जब जब मौसम बदलते है जीवन बदल जाता है कभी खुशी कभी गम के रंग ले आता है अगर सही दोस्त हो तो हर रस्ता कट जाता है जो हर रंग मे हर बारी दोस्ती ही रंग भर देता है
उस साथी को चाहो जो मुश्किल मे भी साथ देते है उन्हें दिल से समजे तो जीवन मे रोशनी देते है साथी जो आगे ले जाये वहीं सही दोस्त होते है पर दोस्ती मे झगड़े भी तो होते है
जिन्हें हम हर बार जो समजे वह साथी साथ निभाते है पर अचरज कि बात तो यह है कि जिन्हें जीवन मे ना समज सके वह साथी भी साथ निभाते है
क्योंकि समजे या ना समजे यह अपनी सोच ही होती है सही दिशा मे कभी कभी किस्मत भी ज़ोर धरती है जिसे हम परखे वहीं बात सही नहीं होती है
कभी कभी जीवन मे सोच जो सही दिशा मे मुड़ जाती वह उस साथी कि देन है जिसे जिन्दगी परख नहीं पाती है क्योंकि अक्सर पुरानी सोच के मोहताज बनकर हम नई सोच को परख नहीं सकते है
जो दोस्त अनजाने होते है वह सोच अनोखी लाते है जिसे हर बारी हर मोड़ पे समज लेना चाहते है क्योंकि वह सोच नई होती जो जीवन को मतलब दे जाती है
वह कई बार अनजाने लोगों के बजह से जीवन मे हर बार आती है जिस सोच को हर पल परखे जिन्दगी अलग असर ही लाती है हर मोड़ पे उम्मीद करे तो उसी जगह सुबह आती है
अनजाने लोग जब चले कभी कभी उनकी मंज़िल साथ मे आती है उन्हें जीवन को परखने से ज़्यादा मंज़िल मेहनत साथ लाती है जिसे समज लेते है तो उम्मीदें आती है
जब मेहनत इन्सानों को साथ लाती है वहीं कई बार जीवन कि तलाश बन जाती है हर बार जब जब हम जीवन मे चले उम्मीद सी जीवन मे आती है
जिसे जीवन मे परखे तो नई सुबह जीवन पर असर कर जाती है दोस्त नया हो या पुराना मेहनत जो साथ मे करे वहीं हमारा साथी है बाकी सारी बातें जीवन मे आती जाती है


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