Thursday 1 September 2016

कविता. ९००. किसी तसबीर को देखकर।

                                          किसी तसबीर को देखकर।
किसी तसबीर को देखकर जीवन कि कहानी को अलग एहसास मिल जाता है जिसे समझ लेना आसान नही होता है क्योंकि हर तसबीर से ही तो जीवन कि दास्तान बन पाती है जो जीवन कि कहानी को बदलाव देकर आगे बढती चली जाती है।
किसी तसबीर को देखकर जीवन कि उम्मीदे कुछ ऐसे बढ जाती है कि वह जीवन को अलग पहचान देकर हर बार आगे बढती जाती है क्योंकि तसबीर ही तो जीवन कि कहानी को नये सिरे से लिख जाती है एक कागज से हमारी दुनिया बदलती चली जाती है।
किसी तसबीर को देखकर जीवन कभी कभी नई रफ्तार दिखाता है कई बार एक कागज का तुकडा हमारी दुनिया को कुछ ऐसा बदलाव लाता है क्योंकि उस मे रंगों का शृंगार लिखा होता है जो हमारी दुनिया हर बार बदलकर आगे चला जाता है।
किसी तसबीर को देखकर जीवन कभी कभी अलग तरह कि पुकार देता है जिसे अपना लेना जरुरी हर बार होता है क्योंकि तसबीर मे ही तो जीवन कि पुकार होती है जो जीवन कि कहानी को बदलाव देकर आगे हर पल हर बार लेकर चली जाती है।
किसी तसबीर को देखकर जीवन मे कई किस्सों को परख लेना जरुरी हर बार होता है जो जीवन कि साँसों को अलग किसम कि समझ हर बार दे जाता है वह सिर्फ कागज नही रह पाता है वह कागज से बढकर एक तसबीर बनकर आगे चला जाता है।
किसी तसबीर को देखकर जीवन को कई रंगों की समझ आ जाती है पर कई बार कुछ लोगों को कोरे कागज से भी चीजे समझ आती है तो कुछ लोगों को पुरी तसबीर खाली नजर आती है जीवन उम्मीदे देकर आगे चला जाता है।
किसी तसबीर को देखकर जीवन को अलग अलग जस्बातों मे समझ लेने कि जरुरत हर बार होती है जो जीवन को कहानियाँ बदलती रहती है जो जीवन कि दास्तान को बदलाव देकर कुछ अलग नजर आती है जो आगे चली जाती है।
किसी तसबीर को देखकर जीवन मे कई दास्ताने लिखी जाती है वही तसबीरे कई बार अनदेखा करनेवालों कि बडी लंबी कतार होती है जिसे समझ लेने कि जरुरत जीवन मे हर बार होती है जिसे समझकर दुनिया आगे चली जाती है।
किसी तसबीर को देखकर जीवन को अलग तरह से देख लेने कि उम्मीद होती है जो जीवन को कई रंगों मे बदलकर रख देती है क्योंकि तसबीर ही जीवन को अलग एहसास देकर आगे चलती है क्योंकि तसबीर मे ही सच्ची ताकद मन से ढूँढने की आदत आगे चली जाती है।
किसी तसबीर को देखकर जीवन कि कहानी फिर से रोशन हो जाती है क्योंकि तसबीर कागज जब नही रहती तब वह जरुर कोई एहसास देकर आगे बढती जाती है क्योंकि कागज को ही मन कि ताकद से एक आवाज मिलती चली जाती है। 

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