Thursday 22 September 2016

कविता. ९४२. पानी को पत्थरसे टकराने कि आदत रहती है।

                                         पानी को पत्थरसे टकराने कि आदत रहती है।
पानी को पत्थरसे टकराने कि आदत रहती है जो पानी को परखकर आगे चलते रहने कि जरुरत हर मोड पर रहती है जो पानी को कई किस्सों मे बदलाव को समझ लेने कि ताकद देकर चलती है जो पानी के टकराव के बाद भी बदलाव के संग आगे चलती है।
पानी को पत्थरसे टकराने कि आदत रहती है पर उसकी कोशिश पहले कितनी ना कामयाबसी लगती है चट्टानों से भरे उस किनारे कि ताकद ही तो हर बार मजबूत लगती है पानी की कोशिश फिर भी हर पल धीमे धीमे से आगे बढती है वह हर बार चलती है।
पानी को पत्थरसे टकराने कि आदत रहती है जो अक्सर दुनिया को पहले बेमतलब कि लगती है जो जीवन को कई तरह के मकसद देकर चलती है जो पानी को कई किनारों से टकराने कि इजाजत देकर आगे बढती है जो जीवन को नई रफ्तार देकर चलती है।
पानी को पत्थरसे टकराने कि आदत रहती है पर हर बार वह जीवन पर असर कर जाती है जब कि हमे वह बाते बडी आम नजर आती है पानी के अंदर कई किनारों को समझ लेने कि जरुरत नही होती है पानी कि कोशिश तो हर किनारे के लिए बस वही होती है जो आगे चलती है।
पानी को पत्थरसे टकराने कि आदत रहती है पर हर पल हमे दुनिया को समझ लेने जरुरत होती है पानी को बार बार वही चीजे करते हुए आगे जाने कि आदत होती है जो उसे आगे बढते जाने कि जरुरत हर बार रहती है पानी को अंदर ताकद जो मेहनत देकर हर बार आगे चलती है।
पानी को पत्थरसे टकराने कि आदत रहती है पर हर बार जीवन मे चीजों को दोहराने कि आदत रहती है हमे जीवन मे चीजों को पहचान लेने कि जरुरत है पानी को कई चीजों मे जीवन कि कोशिश सबसे अहम नजर आती है जो पानी मे अलग एहसास देकर चलती है।
पानी को पत्थरसे टकराने कि आदत रहती है पर यह आदत अक्सर अहम नही लग पाती है जो चट्टान को तोड तो देती है पर उसका एहसास दुनिया को नही दे पाती है हर बार टकराने कि जरुरत हर मौके पर होती है किसी चीज के बदलाव कि बात बार बार दोहराने से मुमकिन हो जाती है जो आगे लेकर चलती है।
पानी को पत्थरसे टकराने कि आदत रहती है पर पानी के अंदर एहसासों को समझ लेने कि जरुरत हर बार होती है पानी मे पत्थर को बदलाव देने कि पानी कि ताकद धीमे धीमे बनती है पानी के अंदर कई चीजों को बदलाव का एहसास वह धीमे धीमे देती है हमे पानी के बदलाव देने जरुरत चलती है।
पानी को पत्थरसे टकराने कि आदत रहती है पर हर बार वह आदत सही नही होती है पानी के अंदर ताकद होती है जिसे समझ लेने कि ताकद हर पानी कि बूँद मे रहती है पानी को समझकर ही तो दुनिया आगे बढती है जो पानी कि ताकद हर बार आगे लेकर चलती है।
पानी को पत्थरसे टकराने कि आदत रहती है पर पानी में कई किसम कि चीजे रहती है जिनमे ताकद रहती है जिसे समझ लेने कि जरुरत हर मोड पर रहती है क्योंकि पानी मे वह ताकद रहती है जो आसानी से नजर नही आती है पर जिन्दगी हर बार बदलकर आगे चलती है। 

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