Sunday 18 September 2016

कविता. ९३५. लब्जों को अक्सर।

                                                      लब्जों को अक्सर।
लब्जों को अक्सर समझ लेने कि जरुरत जीवन को होती है क्योंकि लब्जों को समझकर आगे बढते जाना है जीवन कि धारा को मतलब अलग देना है जिसे लब्जों के संग समझकर आगे बढते जाना जरुरी होता है जो लब्जों को मतलब देता है।
लब्जों को अक्सर समझ लेने कि ताकद जीवन मे मन को होती है जो जीवन को रोशनी देकर हर बार आगे लेकर चलती है लब्जों को समझकर ही तो हर पल दुनिया को समझ लेना होता है लब्जों से ही तो हमारा जीवन बनता है।
लब्जों को अक्सर समझ लेने कि हर दिशा को जरुरत होती है जो जीवन को कई तरह कि प्यास देकर चलती है जो जीवन मे लब्जों को परखकर आगे चलते जाने कि जरुरत हर मौके पर रहती है जो जीवन मे लब्जों को एहसास देकर आगे जाती है।
लब्जों को समझकर ही तो जीवन कि कहानी बनती है जो कई हिस्सों मे नई सुबह देकर चलती है जो जीवन को लब्जों से समझ लेती है जो लब्जों को आगे लेकर मतलब देकर चलती जाती है जो जीवन को हर बार अलग किसम का मकसद देकर जाती है।
लब्जों को समझकर ही तो जीवन कि धारा बदलती रहती है जो जीवन को लब्जों के मतलब से ही समझ देकर चलती है जो जीवन मे लब्जों कि जरुरत हर बार बदलती रहती है जो जीवन को लब्जों कि ताकद के सहारे आगे लेकर बढती है जो जीवन को समझ देकर जाती है।
लब्जों को समझकर ही तो जीवन कि कहानी अपनी धारा बदलती है क्योंकि लब्जों के अंदर ही तो जीवन को समझ लेने कि ताकद रहती है जो जीवन कि कहानी कहती है जो जीवन को अलग तरह कि प्यास देकर हर मौके पर आगे बढती जाती है।
लब्जों को समझकर ही तो जीवन कि साँसे हर पल बनती है जिन्हे समझ लेने कि जरुरत दुनिया को हर बार रहती है जो जीवन को कई तरह के मकसद देकर चलती है जो कई तरह के किनारों से जीवन कि कहानी कहती है जो जीवन को रोशनी देकर जाती है।
लब्जों को समझकर ही तो जीवन कि कहानी बनती है जो जीवन मे हर एक लब्ज मे अलग पुकार देकर चलती है जिसे समझकर आगे बढने कि जरुरत रहती है लब्जों के सहारे ही तो दुनिया अपना किनारा बनाती है जो किनारा जीवन को आगे लेकर जाता है।
लब्जों को समझकर ही तो जीवन कि उम्मीदे बनती है जो जीवन मे कई रंगों कि कहानी सुनाती रहती है जो जीवन को समझ अलग देकर चलती है जिसे समझकर आगे चलते जाने कि जरुरत रहती है जो उम्मीदे देकर हँसी देकर जाती है।
लब्जों को समझकर ही तो जीवन कि खुशियाँ आगे चलती है जिन्हे समझकर आगे बढते जाने कि जरुरत रहती है जो लब्जों के अंदर अलग किसम कि ताकद देकर चलती है जो हमे हर बार आगे लेकर जाना चाहती है जो जीवन को अलग ताकद देकर जाती है।

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