Tuesday 2 August 2022

कविता. ४५२०. उजालों संग तलाश।

                                      उजालों संग तलाश।

उजालों संग तलाश सुबह देती है नजारों को अदाओं कि आवाज सहारा दिलाती है जज्बातों को दिशाओं कि सरगम पहचान सुनाती है।

उजालों संग तलाश लहर देती है कदमों को दास्तानों कि सुबह कोशिश दिलाती है लम्हों को अरमानों कि सौगात पहचान सुनाती है।

उजालों संग तलाश रोशनी देती है दिशाओं को इरादों कि मुस्कान राह दिलाती है नजारों को आवाजों कि धून पहचान सुनाती है।

उजालों संग तलाश कोशिश देती है लहरों को अफसानों कि सोच सपना दिलाती है इशारों को तरानों कि सुबह पहचान सुनाती है।

उजालों संग तलाश किनारा देती है लम्हों को अरमानों कि धाराएं अफसाना दिलाती है खयालों को उम्मीदों कि समझ पहचान सुनाती है।

उजालों संग तलाश सरगम देती है उम्मीदों को आवाजों कि धून कोशिश दिलाती है अदाओं को बदलावों कि अहमियत पहचान सुनाती है।

उजालों संग तलाश पुकार देती है किनारों को आशाओं कि मुस्कान परख दिलाती है इरादों को अंदाजों कि कोशिश पहचान सुनाती है।

उजालों संग तलाश सोच देती है दास्तानों को नजारों कि आस अरमान दिलाती है अदाओं को लम्हों कि कहानी पहचान सुनाती है।

उजालों संग तलाश सौगात देती है बदलावों को खयालों कि उमंग राह दिलाती है नजारों को आशाओं कि मुस्कान पहचान सुनाती है।

उजालों संग तलाश उमंग देती है कदमों को अंदाजों कि अहमियत एहसास दिलाती है लम्हों को कदमों कि सरगम पहचान सुनाती है।

 

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