Sunday, 7 August 2022

कविता. ४५२६. उमंग को किनारों कि।

                                       उमंग को किनारों कि।

उमंग को किनारों कि सुबह सरगम सुनाती है नजारों से अफसानों कि राह अरमान दिलाती है अदाओं को लम्हों कि कहानी रोशनी देती है।

उमंग को किनारों कि सोच इरादा सुनाती है जज्बातों से अल्फाजों कि सौगात इशारा दिलाती है खयालों को उजालों कि समझ रोशनी देती है।

उमंग को किनारों कि पुकार पहचान सुनाती है राहों से आवाजों कि धून मुस्कान दिलाती है अरमानों को आशाओं कि अहमियत रोशनी देती है।

उमंग को किनारों कि लहर दास्तान सुनाती है दास्तानों से खयालों कि उम्मीद आवाज दिलाती है अंदाजों को राहों कि पहचान रोशनी देती है।

उमंग को किनारों कि बदलाव अफसाना सुनाती है दिशाओं से इरादों कि तलाश आस दिलाती है लहरों को अफसानों कि सौगात रोशनी देती है।

उमंग को किनारों कि परख कोशिश सुनाती है उजालों से अरमानों कि धाराएं अंदाज दिलाती है कदमों को आवाजों कि धून रोशनी देती है।

उमंग को किनारों कि सौगात खयाल सुनाती है नजारों से अल्फाजों कि सोच इरादा दिलाती है राहों को एहसासों कि तलाश रोशनी देती है।

उमंग को किनारों कि आस नजारा सुनाती है अंदाजों से खयालों कि सरगम सौगात दिलाती है किनारों को दिशाओं कि मुस्कान रोशनी देती है।

उमंग को किनारों कि खयाल जज्बात सुनाती है अदाओं से कोशिश कि पुकार परख दिलाती है उम्मीदों को आवाजों कि धून रोशनी देती है।

उमंग को किनारों कि समझ सपना सुनाती है जज्बातों से आशाओं कि कोशिश अरमान दिलाती है इरादों को दास्तानों कि सोच रोशनी देती है।

No comments:

Post a Comment

कविता. ५७०७. अरमानों की आहट अक्सर।

                       अरमानों की आहट अक्सर। अरमानों की आहट  अक्सर जज्बात दिलाती है लम्हों को एहसासों की पुकार सरगम सुनाती है तरानों को अफसा...