Thursday 25 August 2022

कविता. ४५४४. दिशाओं से अक्सर।

                                                 दिशाओं से अक्सर। 

दिशाओं से अक्सर आवाजों कि आस सरगम सुनाकर चलती है राहों कि पुकार से एहसासों कि सौगात कोशिश दिलाती है लहरों को नजारों कि पहचान दिलाती है।

दिशाओं से अक्सर अंदाजों कि बदलाव सपना सुनाकर चलती है बदलावों कि सोच से इरादों कि आस खयाल दिलाती है लम्हों को जज्बातों कि पहचान दिलाती है।

दिशाओं से अक्सर जज्बातों कि सोच इशारा सुनाकर चलती है कदमों कि कोशिश से अफसानों कि रोशनी दास्तान दिलाती है लम्हों को खयालों कि पहचान दिलाती है।

दिशाओं से अक्सर अदाओं कि परख किनारा सुनाकर चलती है कदमों कि समझ से खयालों कि पुकार सुबह दिलाती है नजारों को किनारों कि पहचान दिलाती है।

दिशाओं से अक्सर तरानों कि परख रोशनी सुनाकर चलती है अंदाजों कि आस से लम्हों कि आहट अहमियत दिलाती है राहों को इशारों कि पहचान दिलाती है।

दिशाओं से अक्सर उजालों कि राह तराना सुनाकर चलती है दास्तानों कि परख से आवाजों कि आस सरगम दिलाती है अदाओं को अंदाजों कि पहचान दिलाती है।

दिशाओं से अक्सर उम्मीदों कि समझ पुकार सुनाकर चलती है आशाओं कि पहचान से लम्हों कि मुस्कान रोशनी दिलाती है नजारों को आवाजों कि पहचान दिलाती है।

दिशाओं से अक्सर आशाओं कि सोच कोशिश सुनाकर चलती है एहसासों कि सोच से इरादों कि सौगात खयाल दिलाती है लम्हों को उम्मीदों कि पहचान दिलाती है।

दिशाओं से अक्सर इशारों कि पुकार सरगम सुनाकर चलती है खयालों कि समझ से दास्तानों कि रोशनी एहसास दिलाती है नजारों को राहों कि पहचान दिलाती है।

दिशाओं से अक्सर तरानों कि सौगात सपना सुनाकर चलती है आवाजों कि आस से लहरों कि कोशिश बदलाव दिलाती है दास्तानों को अदाओं कि पहचान दिलाती है।

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