Wednesday 3 August 2022

कविता. ४५२२. बदलाव को दिशाओं कि।

                                     बदलाव को दिशाओं कि।

बदलाव को दिशाओं कि मुस्कान रोशनी दिलाती है लम्हों को कदमों कि सरगम आस सुनाती है तरानों पर आशाओं कि सौगात सुबह देती है।

बदलाव को दिशाओं कि उमंग अरमान दिलाती है जज्बातों को अंदाजों कि मुस्कान आवाज सुनाती है दास्तानों पर इशारों कि सोच सुबह देती है।

बदलाव को दिशाओं कि परख खयाल दिलाती है नजारों को अदाओं कि समझ पहचान सुनाती है राहों पर अंदाजों कि कोशिश सुबह देती है।

बदलाव को दिशाओं कि उम्मीद सपना दिलाती है राहों को अरमानों कि धाराएं अफसाना सुनाती है जज्बातों पर किनारों कि पुकार सुबह देती है।

बदलाव को दिशाओं कि रोशनी खयाल दिलाती है लहरों को अफसानों कि तरानों कोशिश सुनाती है इशारों पर लम्हों कि कहानी सुबह देती है।

बदलाव को दिशाओं कि सोच इरादा दिलाती है एहसासों को आवाजों कि महफ़िल आस सुनाती है अरमानों पर दिशाओं कि सरगम सुबह देती है।

बदलाव को दिशाओं कि पुकार अल्फाज दिलाती है आवाजों को कदमों कि आहट नजारा सुनाती है अंदाजों पर दास्तानों कि कोशिश सुबह देती है।

बदलाव को दिशाओं कि आस लहर दिलाती है अदाओं को इशारों कि सरगम रोशनी सुनाती है आवाजों पर तरानों कि अल्फाज सुबह देती है।

बदलाव को दिशाओं कि राह अरमान दिलाती है लम्हों को किनारों कि पुकार पहचान सुनाती है इरादों पर आशाओं कि मुस्कान सुबह देती है।

बदलाव को दिशाओं कि समझ आस दिलाती है उजालों को अदाओं कि सौगात कोशिश सुनाती है कदमों पर अंदाजों कि पहचान सुबह देती है।

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