Tuesday 16 August 2022

कविता. ४५३५. कदमों को दास्तानों कि।

                                      कदमों को दास्तानों कि।

कदमों को दास्तानों कि सुबह कोशिश दिलाती है लम्हों को अरमानों कि धाराएं अफसाना सुनाती है नजारों को अदाओं कि सौगात आस देती है।

कदमों को दास्तानों कि मुस्कान रोशनी दिलाती है अदाओं को खयालों कि उम्मीद अरमान सुनाती है लहरों को अल्फाजों कि सोच आस देती है।

कदमों को दास्तानों कि सोच इरादा दिलाती है जज्बातों को दिशाओं कि उमंग पहचान सुनाती है इशारों को अंदाजों कि परख आस देती है।

कदमों को दास्तानों कि उमंग अरमान दिलाती है लहरों को अल्फाजों कि सुबह अदा सुनाती है आशाओं को बदलावों कि सोच आस देती है।

कदमों को दास्तानों कि समझ सहारा दिलाती है आशाओं को नजारों कि तलाश खयाल सुनाती है राहों को किनारों कि पुकार आस देती है।

कदमों को दास्तानों कि सौगात तराना दिलाती है इशारों को जज्बातों कि राह पहचान सुनाती है कोशिश को उम्मीदों कि समझ आस देती है।

कदमों को दास्तानों कि राह उम्मीद दिलाती है लम्हों को अरमानों कि सुबह कोशिश सुनाती है तरानों को बदलावों कि सौगात आस देती है।

कदमों को दास्तानों कि उमंग अरमान दिलाती है दिशाओं को उजालों कि परख पुकार सुनाती है राहों को जज्बातों कि सरगम आस देती है।

कदमों को दास्तानों कि कोशिश समझ दिलाती है खयालों को तरानों कि राह अफसाना सुनाती है इशारों को अंदाजों कि मुस्कान आस देती है।

कदमों को दास्तानों कि रोशनी राह दिलाती है किनारों को अफसानों कि कोशिश सोच सुनाती है नजारों को आशाओं कि परख आस देती है।

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