Wednesday 24 August 2022

कविता. ४५४३. जज्बात को मुस्कान कि।

                                             जज्बात को मुस्कान कि।

जज्बात को मुस्कान कि सौगात सरगम सुनाती है बदलावों को लम्हों कि आहट सपना देकर जाती है नजारों को कदमों कि सोच इशारा देती है।

जज्बात को मुस्कान कि सोच कोशिश सुनाती है तरानों को अदाओं कि परख रोशनी देकर जाती है उजालों को अंदाजों कि आस इशारा देती है।

जज्बात को मुस्कान कि लहर पहचान सुनाती है नजारों को दिशाओं कि कोशिश तलाश देकर जाती है राहों को खयालों कि समझ इशारा देती है।

जज्बात को मुस्कान कि समझ पुकार सुनाती है कदमों को अंदाजों कि बदलाव परख देकर जाती है आशाओं को बदलावों कि राह इशारा देती है।

जज्बात को मुस्कान कि सुबह दास्तान सुनाती है उम्मीदों को कदमों कि सोच नजारा देकर जाती है एहसासों को अदाओं कि परख इशारा देती है।

जज्बात को मुस्कान कि आस अरमान सुनाती है लम्हों को खयालों कि समझ कोशिश देकर जाती है नजारों को दिशाओं कि सुबह इशारा देती है।

जज्बात को मुस्कान कि परख कोशिश सुनाती है तरानों को सपनों कि सौगात दास्तान देकर जाती है उजालों को आशाओं कि पहचान इशारा देती है।

जज्बात को मुस्कान कि पहचान आवाज सुनाती है दास्तानों को अदाओं कि पुकार सोच देकर जाती है सपनों को राहों कि उमंग इशारा देती है।

जज्बात को मुस्कान कि सरगम तलाश सुनाती है नजारों को दिशाओं कि अहमियत राह देकर जाती है अंदाजों को दास्तानों कि सौगात इशारा देती है।

जज्बात को मुस्कान कि रोशनी उमंग सुनाती है बदलावों को लम्हों कि आहट पहचान देकर जाती है उम्मीदों को कदमों कि सोच इशारा देती है।


No comments:

Post a Comment

कविता. ५१६५. उम्मीदों को किनारों की।

                               उम्मीदों को किनारों की। उम्मीदों को किनारों की सौगात इरादा देती है आवाजों को अदाओं की पुकार पहचान दिलाती है द...