Tuesday 2 August 2022

कविता. ४५२१. इशारों को अंदाजों कि।

                                      इशारों को अंदाजों कि।

इशारों को अंदाजों कि मुस्कान कोशिश सुनाती है तरानों को किनारों से मिलकर आशाओं कि पहचान इशारा देती है कदमों कि सरगम सुनाती है।

इशारों को अंदाजों कि पुकार अल्फाज सुनाती है राहों को अरमानों से जुड़कर खयालों कि उम्मीद मुस्कान देती है उजालों कि सरगम सुनाती है।

इशारों को अंदाजों कि परख आस सुनाती है आवाजों को लम्हों से समझकर अदाओं कि समझ किनारा देती है अल्फाजों कि सरगम सुनाती है।

इशारों को अंदाजों कि सुबह एहसास सुनाती है जज्बातों को दिशाओं से परखकर दास्तानों कि सोच पुकार देती है अदाओं कि सरगम सुनाती है।

इशारों को अंदाजों कि सौगात आवाज सुनाती है लम्हों को कदमों से सुनकर लहरों कि पहचान मुस्कान देती है किनारों कि सरगम सुनाती है।

इशारों को अंदाजों कि रोशनी खयाल सुनाती है तरानों को उम्मीदों से मिलकर आवाजों कि धून कोशिश देती है सपनों कि सरगम सुनाती है।

इशारों को अंदाजों कि कोशिश अरमान सुनाती है जज्बातों को आशाओं से समझकर बदलावों कि उमंग अल्फाज देती है लम्हों कि सरगम सुनाती है।

इशारों को अंदाजों कि दास्तान सौगात सुनाती है एहसासों को अदाओं से परखकर नजारों कि तलाश अहमियत देती है लहरों कि सरगम सुनाती है।

इशारों को अंदाजों कि राह बदलाव सुनाती है नजारों को आवाजों से जुड़कर आशाओं कि पुकार अल्फाज देती है दास्तानों कि सरगम सुनाती है।

इशारों को अंदाजों कि लहर पहचान सुनाती है खयालों को उजालों से मिलकर अरमानों कि धाराएं अफसाना देती है तरानों कि सरगम सुनाती है।


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