Tuesday 9 August 2022

कविता. ४५२८. राह कोई सपना अक्सर।

                                      राह कोई सपना अक्सर।

राह कोई सपना अक्सर इशारों से दिलाती है लम्हों को अरमानों कि धाराएं एहसास सुनाती है नजारों को अदाओं कि समझ बदलाव दिलाती है।

राह कोई सपना अक्सर आशाओं से दिलाती है अदाओं को किनारों कि सुबह कोशिश सुनाती है जज्बातों को तरानों कि परख बदलाव दिलाती है।

राह कोई सपना अक्सर एहसासों से दिलाती है लहरों को अफसानों कि सौगात सुबह सुनाती है खयालों को उम्मीदों कि सोच बदलाव दिलाती है।

राह कोई सपना अक्सर अंदाजों से दिलाती है नजारों को अदाओं कि समझ आस सुनाती है दिशाओं को उजालों कि पुकार बदलाव दिलाती है।

राह कोई सपना अक्सर कदमों से दिलाती है जज्बातों को अंदाजों कि सोच इरादा सुनाती है लम्हों को अरमानों कि धाराएं बदलाव दिलाती है।

राह कोई सपना अक्सर उजालों से दिलाती है दास्तानों को नजारों कि सौगात आस सुनाती है इरादों को आवाजों कि सोच बदलाव दिलाती है।

राह कोई सपना अक्सर तरानों से दिलाती है अंदाजों को इरादों कि मुस्कान अल्फाज सुनाती है आशाओं को एहसासों कि तलाश बदलाव दिलाती है।

राह कोई सपना अक्सर जज्बातों से दिलाती है लहरों को अफसानों कि सोच कोशिश सुनाती है अंदाजों को इरादों कि सौगात बदलाव दिलाती है।

राह कोई सपना अक्सर किनारों से दिलाती है नजारों को अदाओं कि समझ सरगम सुनाती है जज्बातों को दिशाओं कि उमंग बदलाव दिलाती है।

राह कोई सपना अक्सर आवाजों से दिलाती है अदाओं को लम्हों कि कहानी पहचान सुनाती है तरानों को उम्मीदों कि परख बदलाव दिलाती है।

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