Saturday, 6 August 2022

कविता. ४५२५. मुस्कान कि आस संग।

                                        मुस्कान कि आस संग।

मुस्कान कि आस संग आशाओं से पुकार एहसास देती है कदमों को आवाजों कि राह अरमान दिलाती है अंदाजों को इरादों कि कोशिश सुनाती है।

मुस्कान कि आस संग अदाओं से दास्तान खयाल देती है नजारों को एहसासों कि लहर कहानी दिलाती है लहरों को अफसानों कि कोशिश सुनाती है।

मुस्कान कि आस संग जज्बातों से सरगम सपना देती है दिशाओं को उजालों कि परख पहचान दिलाती है नजारों को आशाओं कि कोशिश सुनाती है।

मुस्कान कि आस संग लहरों से अरमान जज्बात देती है तरानों को उम्मीदों कि सोच इरादा दिलाती है लम्हों को अरमानों कि कोशिश सुनाती है।

मुस्कान कि आस संग इशारों से सोच इरादा देती है किनारों को अंदाजों कि सुबह एहसास दिलाती है उजालों को कदमों कि आहट कोशिश सुनाती है।

मुस्कान कि आस संग आवाजों से धून बदलाव देती है उम्मीदों को सपनों कि पुकार अल्फाज दिलाती है आशाओं को अदाओं कि समझ कोशिश सुनाती है।

मुस्कान कि आस संग राहों से सुबह लहर देती है अरमानों को आशाओं कि परख पहचान दिलाती है दिशाओं को इरादों कि तलाश कोशिश सुनाती है।

मुस्कान कि आस संग उजालों से पुकार तलाश देती है अदाओं को लम्हों कि कहानी खयाल दिलाती है एहसासों को दिशाओं कि उमंग कोशिश सुनाती है।

मुस्कान कि आस संग कदमों से आवाज पहचान देती है नजारों को अदाओं कि समझ सरगम दिलाती है अंदाजों को इरादों कि सोच कोशिश सुनाती है।

मुस्कान कि आस संग लहरों से सोच इरादा देती है सपनों को नजारों कि तलाश पहचान दिलाती है बदलावों को इशारों कि रोशनी कोशिश सुनाती है।


 

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