Monday 8 August 2022

कविता. ४५२७. तराने कि सरगम अक्सर।

                                       तराने कि सरगम अक्सर।

तराने कि सरगम अक्सर एहसास जताती है जज्बातों को अंदाजों कि मुस्कान सहारा देती है कदमों कि आहट संग आशाओं कि अहमियत दिलाती है।

तराने कि सरगम अक्सर खयाल जताती है नजारों को अदाओं कि सौगात पहचान देती है आवाजों कि सुबह संग जज्बातों कि अहमियत दिलाती है।

तराने कि सरगम अक्सर रोशनी जताती है किनारों को अरमानों कि धाराएं अफसाना देती है उजालों कि परख संग आवाजों कि समझ अहमियत दिलाती है।

तराने कि सरगम अक्सर नजारा जताती है कदमों को दास्तानों कि कोशिश अरमान देती है दिशाओं कि उमंग संग खयालों कि उम्मीद अहमियत दिलाती है।

तराने कि सरगम अक्सर सुबह जताती है राहों को इशारों कि सोच इरादा देती है किनारों कि पुकार संग अफसानों कि कोशिश अहमियत दिलाती है।

तराने कि सरगम अक्सर लहर जताती है लम्हों को बदलावों कि उमंग पुकार देती है बदलावों कि सौगात संग अल्फाजों कि आस अहमियत दिलाती है।

तराने कि सरगम अक्सर उम्मीद जताती है राहों को इशारों कि सुबह कोशिश देती है नजारों कि तलाश संग लहरों कि पहचान अहमियत दिलाती है।

तराने कि सरगम अक्सर कोशिश जताती है नजारों को अदाओं कि समझ खयाल देती है कदमों कि सौगात संग अंदाजों कि मुस्कान अहमियत दिलाती है।

तराने कि सरगम अक्सर बदलाव जताती है कदमों को दास्तानों कि सोच उमंग देती है जज्बातों कि लहर संग आशाओं कि पहचान अहमियत दिलाती है।

तराने कि सरगम अक्सर आस जताती है अंदाजों को इरादों कि तलाश कोशिश देती है दास्तानों कि सुबह संग आवाजों कि धून अहमियत दिलाती है।

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