Friday 19 August 2022

कविता. ४५३८. सपनों संग आसमानों कि।

                                              सपनों संग आसमानों कि।        

सपनों संग आसमानों कि तलाश उड़ान देती है कदमों कि आहट से अल्फाजों कि लहर अरमान जगाती है किनारों को अंदाजों कि सरगम दिलाती है।

सपनों संग आसमानों कि रोशनी उड़ान देती है किनारों कि सोच से इरादों कि सौगात कोशिश जगाती है नजारों को एहसासों कि सरगम दिलाती है।

सपनों संग आसमानों कि सुबह उड़ान देती है खयालों कि उम्मीद से जज्बातों कि लहर बदलाव जगाती है आशाओं को अदाओं कि सरगम दिलाती है।

सपनों संग आसमानों कि सौगात उड़ान देती है दास्तानों कि कोशिश से आशाओं कि मुस्कान रोशनी जगाती है आवाजों को लम्हों कि सरगम दिलाती है।

सपनों संग आसमानों कि समझ उड़ान देती है इशारों कि सोच से अंदाजों कि पहचान लहर जगाती है आशाओं को उजालों कि सरगम दिलाती है।

सपनों संग आसमानों कि राह उड़ान देती है आशाओं कि परख से दिशाओं कि पुकार अल्फाज जगाती है किनारों को अरमानों कि सरगम दिलाती है।

सपनों संग आसमानों कि परख उड़ान देती है लहरों कि पुकार से खयालों कि उम्मीद आस जगाती है तरानों को अफसानों कि सरगम दिलाती है।

सपनों संग आसमानों कि सोच उड़ान देती है दिशाओं कि उमंग से आवाजों कि लहर सपना जगाती है जज्बातों को तरानों कि सरगम दिलाती है।

सपनों संग आसमानों कि रोशनी उड़ान देती है कदमों कि पुकार से आशाओं कि पहचान तलाश जगाती है उजालों को अल्फाजों कि सरगम दिलाती है।

सपनों संग आसमानों कि सुबह उड़ान देती है उम्मीदों कि सौगात से अंदाजों कि मुस्कान रोशनी जगाती है कदमों को तरानों कि सरगम दिलाती है।

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