Tuesday, 23 August 2022

कविता. ४५४२. राहों को अंदाजों कि।

                                                 राहों को अंदाजों कि।

राहों को अंदाजों कि सुबह इशारे देती है कदमों को अदाओं कि कोशिश तराना दिलाती है किनारों कि समझ खयाल सुनाती है नजारों कि सोच सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि सौगात सरगम देती है किनारों को सपनों कि सुबह दास्तान दिलाती है लम्हों कि पुकार पहचान सुनाती है जज्बातों कि सोच सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि बदलाव सपना देती है जज्बातों को कदमों कि आहट सरगम दिलाती है लहरों कि परख कोशिश सुनाती है आशाओं कि सोच सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि कोशिश दास्तान देती है आवाजों को अदाओं कि परख रोशनी दिलाती है उम्मीदों कि समझ सरगम सुनाती है तरानों कि सोच सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि आस कोशिश देती है नजारों को दिशाओं कि मुस्कान दास्तान दिलाती है लम्हों कि पुकार अहमियत सुनाती है बदलावों कि सोच सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि पुकार किनारा देती है तरानों को इशारों कि कोशिश अरमान दिलाती है नजारों कि पहचान तलाश सुनाती है उजालों कि सोच सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि लहर पहचान देती है आशाओं को जज्बातों कि कोशिश बदलाव दिलाती है कदमों कि आहट पुकार सुनाती है उम्मीदों कि सोच सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि सुबह किनारा देती है कदमों को अदाओं कि पहचान इशारा दिलाती है लहरों कि सरगम बदलाव सुनाती है दिशाओं कि सोच सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि सौगात सुबह देती है इशारों को आशाओं कि पुकार अल्फाज दिलाती है लम्हों कि पुकार अफसाना सुनाती है नजारों कि सोच सुनाती है।

राहों को अंदाजों कि बदलाव जज्बात देती है आशाओं को नजारों कि सोच सरगम दिलाती है किनारों कि पहचान इशारा सुनाती है बदलावों कि सोच सुनाती है।

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