Monday 22 August 2022

कविता. ४५४१. आशाओं संग अरमानों कि।

                                       आशाओं संग अरमानों कि।

आशाओं संग अरमानों कि राह तराना देती है लम्हों को खयालों कि सोच इशारा दिलाती है नजारों से लहरों कि पहचान सरगम सुनाकर चलती है।

आशाओं संग अरमानों कि सौगात कोशिश देती है नजारों को राहों कि आस खयाल दिलाती है जज्बातों से लम्हों कि आवाज सरगम सुनाकर चलती है।

आशाओं संग अरमानों कि बदलाव सपना देती है लहरों को इशारों कि सौगात कोशिश दिलाती है कदमों से अंदाजों कि सुबह सरगम सुनाकर चलती है।

आशाओं संग अरमानों कि रोशनी नजारा देती है तरानों को अदाओं कि सुबह दास्तान दिलाती है इरादों से आवाजों कि आस सरगम सुनाकर चलती है।

आशाओं संग अरमानों कि सोच तलाश देती है कदमों को अंदाजों कि रोशनी मुस्कान दिलाती है राहों से लम्हों कि पुकार सरगम सुनाकर चलती है।

आशाओं संग अरमानों कि समझ सपना देती है बदलावों को राहों कि सोच कोशिश दिलाती है नजारों से मुस्कान कि सौगात सरगम सुनाकर चलती है।

आशाओं संग अरमानों कि परख खयाल देती है तरानों को अदाओं कि सौगात पहचान दिलाती है बदलावों से लम्हों कि पुकार सरगम सुनाकर चलती है।

आशाओं संग अरमानों कि लहर सौगात देती है अंदाजों को बदलावों कि समझ सपना दिलाती है एहसासों से कदमों कि आहट सरगम सुनाकर चलती है।

आशाओं संग अरमानों कि सुबह दास्तान देती है किनारों को अदाओं कि परख पुकार दिलाती है जज्बातों से लहरों कि सोच सरगम सुनाकर चलती है।

आशाओं संग अरमानों कि पुकार कोशिश देती है आवाजों को राहों कि अफसाना दास्तान दिलाती है तरानों से इरादों कि सौगात सरगम सुनाकर चलती है।

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