Sunday, 21 August 2022

कविता. ४५४०. मुस्कान को अफसानों कि।

                                       मुस्कान को अफसानों कि।

मुस्कान को अफसानों कि सौगात आस दिलाती है लहरों को अल्फाजों कि सोच इरादा सुनाती है कदमों कि आस अक्सर अरमान जगाती है।

मुस्कान को अफसानों कि सुबह कोशिश दिलाती है लम्हों को उम्मीदों कि सुबह आस सुनाती है किनारे कि आवाज अक्सर एहसास जगाती है।

मुस्कान को अफसानों कि सोच इशारा दिलाती है आशाओं को खयालों कि समझ इरादा सुनाती है नजारों कि समझ अक्सर आवाज जगाती है।

मुस्कान को अफसानों कि रोशनी बदलाव दिलाती है अदाओं को दिशाओं कि सरगम तलाश सुनाती है तरानों कि आवाज अक्सर दास्तान जगाती है।

मुस्कान को अफसानों कि सरगम राह दिलाती है कदमों को दास्तानों कि आस लहर सुनाती है जज्बातों कि सरगम अक्सर अहमियत जगाती है।

मुस्कान को अफसानों कि पुकार खयाल दिलाती है किनारों को अंदाजों कि समझ इरादा सुनाती है बदलावों कि सोच अक्सर इरादा जगाती है।

मुस्कान को अफसानों कि आस परख दिलाती है आवाजों को नजारों कि उमंग सौगात सुनाती है एहसासों कि सुबह अक्सर खयाल जगाती है।

मुस्कान को अफसानों कि उम्मीद सोच दिलाती है कदमों को अदाओं कि आवाज सपना सुनाती है दिशाओं कि सौगात अक्सर एहसास जगाती है।

मुस्कान को अफसानों कि कोशिश तलाश दिलाती है लहरों को उजालों कि बदलाव समझ सुनाती है नजारों कि उमंग अक्सर आस जगाती है।

मुस्कान को अफसानों कि राह सरगम दिलाती है कदमों को अल्फाजों कि सोच कोशिश सुनाती है जज्बातों कि सरगम अक्सर बदलाव जगाती है।

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