Sunday 14 August 2022

कविता. ४५३३. नजारों को अरमानों कि।

                                       नजारों को अरमानों कि।

नजारों को अरमानों कि धाराएं अफसाना देती है कदमों को आशाओं कि लहर इशारा देती है किनारों को अंदाजों कि सुबह एहसास सुनाती है।

नजारों को अरमानों कि तलाश खयाल देती है किनारों को अंदाजों कि समझ सहारा देती है लम्हों को सपनों कि पुकार एहसास सुनाती है।

नजारों को अरमानों कि सोच इरादा देती है इशारों को जज्बातों कि सौगात आस देती है उजालों को अल्फाजों कि राह एहसास सुनाती है।

नजारों को अरमानों कि परख पहचान देती है इरादों को आशाओं कि सरगम रोशनी देती है अदाओं को लम्हों कि सरगम एहसास सुनाती है।

नजारों को अरमानों कि आस समझ देती है तरानों को दिशाओं कि पहचान लहर देती है बदलावों को इशारों कि अहमियत एहसास सुनाती है।

नजारों को अरमानों कि पुकार सहारा देती है कदमों को दिशाओं कि मुस्कान दास्तान देती है कदमों को इरादों कि तलाश एहसास सुनाती है।

नजारों को अरमानों कि सुबह बदलाव देती है अदाओं को लम्हों कि कहानी अफसाना देती है तरानों को उम्मीदों कि सौगात एहसास सुनाती है।

नजारों को अरमानों कि रोशनी मुस्कान देती है किनारों को आशाओं कि सरगम इरादा देती है बदलावों को उजालों कि परख एहसास सुनाती है।

नजारों को अरमानों कि तलाश सुबह देती है अंदाजों को इरादों कि कोशिश आस देती है आवाजों को दिशाओं कि पहचान एहसास सुनाती है।

नजारों को अरमानों कि धाराएं अदा देती है आवाजों को लम्हों कि कहानी आवाज देती है दास्तानों को खयालों कि उमंग एहसास सुनाती है।


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