Friday 5 August 2022

कविता. ४५२४. उम्मीदों को लम्हों संग।

                                 उम्मीदों को लम्हों संग।

उम्मीदों को लम्हों संग अल्फाज दिलाती है तरानों को कदमों कि आहट अफसाना सुनाती है नजारों से खयालों कि सरगम सुबह दिलाती है।

उम्मीदों को लम्हों संग अंदाज दिलाती है दिशाओं को इरादों कि तलाश कोशिश सुनाती है जज्बातों से अरमानों कि धाराएं सुबह दिलाती है।

उम्मीदों को लम्हों संग आस दिलाती है दास्तानों को बदलावों कि रोशनी सोच सुनाती है इशारों से किनारों कि पहचान सुबह दिलाती है।

उम्मीदों को लम्हों संग बदलाव दिलाती है राहों को अरमानों कि सौगात आस सुनाती है सपनों से अदाओं कि रोशनी ‌‌‌‌‌सुबह दिलाती है।

उम्मीदों को लम्हों संग खयाल दिलाती है लहरों को अल्फाजों कि उमंग राह सुनाती है जज्बातों से आवाजों कि धून सुबह दिलाती है।

उम्मीदों को लम्हों संग अरमान दिलाती है कदमों को दास्तानों कि आस सौगात सुनाती है राहों से आशाओं कि मुस्कान सुबह दिलाती है।

उम्मीदों को लम्हों संग सौगात दिलाती है नजारों को राहों कि तलाश अरमान सुनाती है दिशाओं से अंदाजों कि तलाश सुबह दिलाती है।

उम्मीदों को लम्हों संग आस दिलाती है अंदाजों को इरादों कि सोच इरादा सुनाती है नजारों से अफसानों कि कोशिश सुबह दिलाती है।

उम्मीदों को लम्हों संग समझ दिलाती है खयालों को तरानों कि समझ तलाश सुनाती है जज्बातों से जज्बातों कि सौगात सुबह दिलाती है।

उम्मीदों को लम्हों संग मुस्कान दिलाती है उजालों को इशारों कि सोच बदलाव सुनाती है आशाओं से कदमों कि आहट सुबह दिलाती है।


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