Sunday, 17 September 2023

कविता. ४९३२. उम्मीद कोई इशारों की।

                                      उम्मीद कोई इशारों की।

उम्मीद कोई इशारों की पहचान दिलाकर जाती है किनारों को सपनों की समझ अहमियत लाती है एहसासों को अदाओं संग अंदाज दिलाती है।

उम्मीद कोई इशारों की सौगात दिलाकर जाती है नजारों को दिशाओं की कहानी पहचान लाती है कदमों को उजालों संग अंदाज दिलाती है।

उम्मीद कोई इशारों की समझ दिलाकर जाती है दास्तानों को एहसासों की सरगम खयाल लाती है किनारों को सपनों संग अंदाज दिलाती है।

उम्मीद कोई इशारों की उमंग दिलाकर जाती है तरानों को अफसानों की सौगात तलाश लाती है खयालों को अदाओं संग अंदाज दिलाती है।

उम्मीद कोई इशारों की आवाज दिलाकर जाती है कदमों को उजालों की समझ आस लाती है दिशाओं को बदलावों संग अंदाज दिलाती है।

उम्मीद कोई इशारों की लहर दिलाकर जाती है आशाओं को बदलावों की मुस्कान सुबह लाती है लहरों को एहसासों संग अंदाज दिलाती है।

उम्मीद कोई इशारों की आस दिलाकर जाती है सपनों को उजालों की कोशिश अरमान लाती है जज्बातों को आशाओं संग अंदाज दिलाती है।

उम्मीद कोई इशारों की परख दिलाकर जाती है दिशाओं को अफसानों की उमंग आस लाती है तरानों को अरमानों संग अंदाज दिलाती है।

उम्मीद कोई इशारों की पुकार दिलाकर जाती है लहरों को एहसासों की कहानी खयाल लाती है अदाओं को अल्फाजों संग अंदाज दिलाती है।

उम्मीद कोई इशारों की समझ दिलाकर जाती है जज्बातों को किनारों की आहट बदलाव लाती है आशाओं को नजारों संग अंदाज दिलाती है।

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