Sunday 3 September 2023

कविता. ४९१८. दास्तानों संग अरमानों की।

                               दास्तानों संग अरमानों की।

दास्तानों संग अरमानों की पुकार इशारा देती है कदमों को जज्बातों की तलाश अफसाना देती है आशाओं को बदलावों की कोशिश दिलाती है।

दास्तानों संग अरमानों की सोच तराना देती है किनारों को सपनों की सुबह पहचान देती है कदमों को अदाओं की कोशिश दिलाती है।

दास्तानों संग अरमानों की परख उमंग देती है तरानों को उम्मीदों की कहानी राह देती है जज्बातों को अंदाजों की कोशिश दिलाती है।

दास्तानों संग अरमानों की समझ सपना देती है नजारों को दिशाओं की लहर पुकार देती है एहसासों को उजालों की कोशिश दिलाती है।

दास्तानों संग अरमानों की सौगात खयाल देती है लम्हों को अल्फाजों की मुस्कान बदलाव देती है नजारों को राहों की कोशिश दिलाती है।

दास्तानों संग अरमानों की आस रोशनी देती है एहसासों को अंदाजों की परख लहर देती है किनारों को अफसानों की कोशिश दिलाती है।

दास्तानों संग अरमानों की राह किनारा देती है दिशाओं को कदमों की सोच इरादा देती है आशाओं को इशारों की कोशिश दिलाती है।

दास्तानों संग अरमानों की पहचान सुबह देती है उम्मीदों को अफसानों की रोशनी तलाश देती है लहरों को खयालों की कोशिश दिलाती है।

दास्तानों संग अरमानों की आवाज लम्हा देती है नजारों को दिशाओं की कहानी खयाल देती है उम्मीदों को तरानों की कोशिश दिलाती है।

दास्तानों संग अरमानों की परख सौगात देती है इरादों को आशाओं की आहट राह देती है दिशाओं को आवाजों की कोशिश दिलाती है।

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