Tuesday 26 September 2023

कविता. ४९४१. किनारों को सपनों संग।

                                  किनारों को सपनों संग।

किनारों को सपनों संग तलाश देकर जाती है राहों को एहसासों की सुबह आस सुनाती है लम्हों को खयालों की समझ इशारा देकर जाती है।

किनारों को सपनों संग आवाज देकर जाती है जज्बातों को उजालों की कहानी तराना सुनाती है अदाओं को तरानों की कोशिश इशारा देकर जाती है।

किनारों को सपनों संग आस देकर जाती है अंदाजों को बदलावों की मुस्कान खयाल सुनाती है दिशाओं को आशाओं की सोच इशारा देकर जाती है।

किनारों को सपनों संग राह देकर जाती है अल्फाजों को उम्मीदों की सोच अरमान सुनाती है आवाजों को एहसासों की आहट इशारा देकर जाती है।

किनारों को सपनों संग कोशिश देकर जाती है नजारों को लम्हों की समझ आस सुनाती है अंदाजों को बदलावों की पुकार इशारा देकर जाती है।

किनारों को सपनों संग रोशनी देकर जाती है इरादों को आवाजों की धून अफसाना सुनाती है सपनों को लहरों की तलाश इशारा देकर जाती है।

किनारों को सपनों संग पहचान देकर जाती है आशाओं को एहसासों की उमंग कोशिश सुनाती है तरानों को अरमानों की सुबह इशारा देकर जाती है।

किनारों को सपनों संग परख देकर जाती है दास्तानों को खयालों की समझ आस सुनाती है अफसानों को नजारों की कहानी इशारा देकर जाती है।

किनारों को सपनों संग समझ देकर जाती है कदमों को अंदाजों की पहचान आवाज सुनाती है अरमानों को दिशाओं की आहट इशारा देकर जाती है।

किनारों को सपनों संग अदा देकर जाती है आवाजों को राहों की पुकार खयाल सुनाती है जज्बातों को आशाओं की मुस्कान इशारा देकर जाती है।

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