Wednesday, 20 September 2023

कविता. ४९३५. जज्बात को किनारों की।

                               जज्बात को किनारों की।

जज्बात को किनारों की समझ तलाश दिलाती है लहरों को इशारों संग मुस्कान अक्सर आशाओं की तराना देती है अदाओं की पुकार सुनाती है।

जज्बात को किनारों की सोच अफसाना दिलाती है लम्हों को खयालों संग आस अक्सर अरमानों की कोशिश देती है तरानों की पुकार सुनाती है।

जज्बात को किनारों की सौगात अदा दिलाती है सपनों को बदलावों संग समझ अक्सर कदमों की आस देती है इरादों की पुकार सुनाती है।

जज्बात को किनारों की रोशनी एहसास दिलाती है अंदाजों को नजारों संग सोच अक्सर दिशाओं की कहानी देती है खयालों की पुकार सुनाती है।

जज्बात को किनारों की आहट दास्तान दिलाती है तरानों को उजालों संग आस अक्सर लहरों की सुबह देती है अल्फाजों की पुकार सुनाती है।

जज्बात को किनारों की राह अरमान दिलाती है उम्मीदों को दिशाओं संग कोशिश अक्सर खयालों की अदा देती है आशाओं की पुकार सुनाती है।

जज्बात को किनारों की परख आवाज दिलाती है राहों को अरमानों संग सौगात अक्सर तरानों की सुबह देती है अदाओं की पुकार सुनाती है।

जज्बात को किनारों की समझ राह दिलाती है कदमों को उजालों संग आस अक्सर उम्मीदों की कहानी देती है बदलावों की पुकार सुनाती है।

जज्बात को किनारों की आस अल्फाज दिलाती है अदाओं को दिशाओं संग पहचान अक्सर दास्तानों की कोशिश देती है लम्हों की पुकार सुनाती है।

जज्बात को किनारों की राह सरगम दिलाती है उम्मीदों को इरादों संग उमंग अक्सर एहसासों की समझ देती है खयालों की पुकार सुनाती है।

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