Tuesday 5 September 2023

कविता. ४९२०. इशारों को लम्हों की।

                                   इशारों को लम्हों की।

इशारों को लम्हों की सुबह पहचान दिलाती है दास्तानों को एहसासों की आहट कहानी सुनकर चलती है तरानों को अरमानों की पुकार सुनाती है।

इशारों को लम्हों की आस परख दिलाती है लहरों को नजारों की सोच अफसाना सुनकर चलती है किनारों को सपनों की पुकार सुनाती है।

इशारों को लम्हों की कोशिश खयाल दिलाती है राहों को दिशाओं की समझ बदलाव सुनकर चलती है आशाओं को बदलावों की पुकार सुनाती है।

इशारों को लम्हों की सोच आस दिलाती है जज्बातों को अंदाजों की परख एहसास सुनकर चलती है अदाओं को उजालों की पुकार सुनाती है।

इशारों को लम्हों की समझ अल्फाज दिलाती है उम्मीदों को कदमों की उमंग सोच सुनकर चलती है अंदाजों को बदलावों की पुकार सुनाती है।

इशारों को लम्हों की राह तलाश दिलाती है किनारों को सपनों की सुबह पहचान सुनकर चलती है एहसासों को उम्मीदों की पुकार सुनाती है।

इशारों को लम्हों की पहचान तराना दिलाती है अदाओं को तरानों की सौगात कोशिश सुनकर चलती है अल्फाजों को नजारों की पुकार सुनाती है।

इशारों को लम्हों की सरगम रोशनी दिलाती है राहों को उजालों की परख सहारा सुनकर चलती है आवाजों को किनारों की पुकार सुनाती है।

इशारों को लम्हों की सहारा किनारा दिलाती है खयालों को नजारों की सोच आहट सुनकर चलती है एहसासों को उम्मीदों की पुकार सुनाती है।

इशारों को लम्हों की आस सौगात दिलाती है लहरों को एहसासों की कहानी सुबह सुनकर चलती है दिशाओं को किनारों की पुकार सुनाती है।

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