Saturday, 16 April 2016

कविता ६२४. गम कि गलत आदत

                                            गम कि गलत आदत
कोई बात जो मन का एहसास बदल देती है उसे समझ लेना जीवन कि जरुरत होती है जो जीवन का मतलब बदल दे वही बात जरुरी होती है
पर अक्सर जीवन कि बाजी इतनी मुश्किल लगती है कि वह हर बार हमे मुश्किल से समझ आ पाती है पर फिर भी जो चीज अहम है वह अहम ही लगती है
वह बात जो हमारी दुनिया बदलकर रख देती है वह बात ही कभी कभी बडी आम नजर आती है नजरों से छुट जाती है
हम जाने कैसे यह गलती कर देते है सबसे जरुरी चीज को जीवन मे अनदेखा कर लेते है जीवन कि हर पल को गलत तरीके से जी लेते है
हर पल मे ही तो दुनिया कि सौगाद तो किसी अहम सही एहसास मे ही नजर आती है जिसके अंदर ही दुनिया की सच्चाई छुपी होती है
पर अक्सर जीवन को समझ लेना ही जीवन मे ही मुश्किल बात लगती है जो हमे हर लम्हा हर पल छूकर आगे चली जाती है
क्योंकि कोई लम्हा खुशियों का अहम होता है उसके जगह दुनिया से मिले गम ही अक्सर दिल मे जगह लेकर खुशियों से आगे चले जाते है
चोट देनेवाले भी खुशियाँ देनेवालों से ज्यादा अहम नजर हो जाते है जीवन कि हर बाजी मे वह आगे नजर आते है जीवन को दर्द देकर जाती है
क्योंकि खुशियों को समझ लेने कि जीवन मे अक्सर जरुरत होती है पर हम वही बाते जीवन मे कहाँ समझ पाते है हम उम्मीदों कि किरण तलाश करना चाहते है
खुशियों के अंदर ही हम अपनी दुनिया समझ नही पाते है क्योंकि हम अपने मन को गम
की आदत कर देते है खुशियों से अक्सर दूर भाग जाते है 

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