बेकाबू मन
मन के अंदर कि कोई चाहत जीवन को अलग रंग दिखाती है जो हर पल हर मौके मे दुनिया को अलग परख दे जाती है
पर हम कई बार सोचते है कब तक बेहलाये इस मन को जीवन कि सोच तो हर पल बदलती जाती ही है जीवन कि दिशाए हर बार अलग नजर आती ही है
मन कि ताकद को समझ लेते है हम पर दुनिया हमे अलग सोच को परखकर आगे ले जाती ही है मन को अलग अलग रंग देकर नये सपने जगाती है
मन मे अलग अलग सोच रखते है तो सोच ही ताकद बन पाती है पर कई बार ऐसा लगता है कि मन कुछ अलग दिशाए दिखाती है
मन कि ताकद को परख लेने पर दुनिया रंग तो दिखाती है जीवन कि हर धारा अक्सर उस दुनिया मे ही छुपी हुई नजर आती है
मन के कई हिस्सों को समझ लेते है तो लगता है मन कि जिद्द कभी कभी कुछ ज्यादा ही हो जाती है उसे रोकना चाहे तो भी वह बात कहाँ मुमकिन हो पाती है
मन तो अपने राह पर ही चलता है उसे किसी और कि बात कहाँ समझ आती है मन कि बात कुछ ऐसे जिद्द पकड लेती है कि हर राह अलग नजर आती है
मन मे कई तरह कि ताकद छुपी है जिसे समझ लेने कि जरुरत मन को हर बार होती है जो मन कि सोच बदलकर आगे चली जाती है
पर फिर भी हम कभी कभी सोचते है मन का यह तूफान काबू मे हो पर फिर भी मन कि बात जुबान पर बडी मुश्किल से आती है
क्योंकि मन को लगाम तो पसंद नही है पर अगर गलत सोच दिमाग मे हो तो मन पर काबू कि जरुरत होती है तो बाकी बातों मे उसे रोकने से हमारी रुह कतराती है
मन के अंदर कि कोई चाहत जीवन को अलग रंग दिखाती है जो हर पल हर मौके मे दुनिया को अलग परख दे जाती है
पर हम कई बार सोचते है कब तक बेहलाये इस मन को जीवन कि सोच तो हर पल बदलती जाती ही है जीवन कि दिशाए हर बार अलग नजर आती ही है
मन कि ताकद को समझ लेते है हम पर दुनिया हमे अलग सोच को परखकर आगे ले जाती ही है मन को अलग अलग रंग देकर नये सपने जगाती है
मन मे अलग अलग सोच रखते है तो सोच ही ताकद बन पाती है पर कई बार ऐसा लगता है कि मन कुछ अलग दिशाए दिखाती है
मन कि ताकद को परख लेने पर दुनिया रंग तो दिखाती है जीवन कि हर धारा अक्सर उस दुनिया मे ही छुपी हुई नजर आती है
मन के कई हिस्सों को समझ लेते है तो लगता है मन कि जिद्द कभी कभी कुछ ज्यादा ही हो जाती है उसे रोकना चाहे तो भी वह बात कहाँ मुमकिन हो पाती है
मन तो अपने राह पर ही चलता है उसे किसी और कि बात कहाँ समझ आती है मन कि बात कुछ ऐसे जिद्द पकड लेती है कि हर राह अलग नजर आती है
मन मे कई तरह कि ताकद छुपी है जिसे समझ लेने कि जरुरत मन को हर बार होती है जो मन कि सोच बदलकर आगे चली जाती है
पर फिर भी हम कभी कभी सोचते है मन का यह तूफान काबू मे हो पर फिर भी मन कि बात जुबान पर बडी मुश्किल से आती है
क्योंकि मन को लगाम तो पसंद नही है पर अगर गलत सोच दिमाग मे हो तो मन पर काबू कि जरुरत होती है तो बाकी बातों मे उसे रोकने से हमारी रुह कतराती है
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