Friday, 22 April 2016

कविता ६३६. किसी पल का खयाल

                                              किसी पल का खयाल
किसी पल कोई खयाल जो कोई बात बता कर जाता है जीवन पर अलग असर देकर दुनिया बदलकर हर बार आगे चलता जाता है
हर पल को जिन्दा रखने कि जीवन मे जरुरत तभी होती है जब उसमे चाहत हर बार छुपी होती है तो रोशनी देकर आगे जाती है
चाहत उन खुशियों कि जिनसे हमारी मुस्कान बनकर आगे बढती नजर आती है जिसकी हर मौके पर हमे हर पल जरुरत होती ही है
हर खयाल मे दुनिया रंग बदलकर जाती है वही पल तो जीवन कि पूँजी होते है जिनसे हमारे खुशियों कि सौगाद बढती है जिन्हे समझ लेने कि जरुरत हर पल होती ही है
पलों के अंदर ही तो दुनिया को अलग अलग रंग मे देख लेने कि चाहत छुपी रहती है जिसे परख लेने कि जरुरत होती ही है
पल को समझके जीवन कि अलग सोच समझ तो लेती है जिस पल मे हम दुनिया को बदल जाये उसमे ही तो हमारी किस्मत लिखी होती है
हर पल को जीवन के सुंदर ख्वाबों कि इजाजत कहाँ होती है पर कुछ पलों को समझकर  ही तो दुनिया बनती है हमारी खुशियाँ बनती है
जीवन को पलों मे परखकर आगे ले जाने कि चाहत हर पल मे होती है जिसे समझ लेने कि जरुरत जीवन कि सच्ची ताकद होती है
हमे उन पलों को समझ लेने कि और चुनने कि जरुरत होती है जो उन्हे समझकर आगे जाने कि कोशिश मे होते है उनकी ही किस्मत बनती है
हर पल को समझकर आगे जाने कि जीवन को जरुरत होती है उस पल मे जिसमे खुशियाँ हो उस से ही तो जीवन कि कहानी आगे बढती है

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