Friday, 8 April 2016

कविता ६०८. एक पल के बाद का दूसरा पल

                                       एक पल के बाद का दूसरा पल
एक पल के बाद आना अगले पल कि जरुरत होती है सिर्फ एक पल कि जिन्दगी नही होती है कई पलों कि वह सौगाद होती है
एक पल मे कहाँ जिन्दगी छुप पाती है वह उस पल मे सिमट कहाँ पाती है वह कई पलों कि सौगाद बनकर आगे बढ जाती है
जिन्दगी को हर पल जीने कि ताकद हर मोड पर हमे होती है कई पलों कि सोच और ताकद होती है कोई एक सोच कहाँ उसे कह पाती है
हर पल को परखकर जीने कि जरुरत हर बार होती है क्योंकि उसमे जीवन कि दुनिया छुपी होती है हर पल को समझ लेने कि ताकद होती है
हर पल मे ही उसकी प्यास रहती है जो जीवन को उम्मीदे देकर ही आगे बढ जाती है पल को समझकर आगे जाने कि जरुरत दुनिया मे होती है
किसी पल को समझकर आगे जाये यह जीवन कि अहम जरुरत होती है पर कितने सारे पलों को समझकर जीने मे कहाँ फुरसत होती है
पल को समझकर उसमे मतलब समझ लेने कि जीवन मे जरुरत हर बार होती ही है हर पल मे जीवन कि कहानी आगे बढती जाती है
कई पलों को समझकर ही दुनिया कि खुशियाँ बनती है पलों को जोडकर ही जीवन कि हर कहानी हर बार बनती है
पल के अंदर ही दुनिया कि ताकद जिन्दा रहती है जो जीवन कि कहानी अलग अलग अंदाज मे सुनाती है एहसास बदल जाती है
लोग अक्सर एक पल जिन्दगी गुजार देने कि बात करते है पर हमारी दुनिया कहाँ किसी पल मे सिमट पाती है वह हमे आगे अक्सर लेकर ही जाती है
पहले पल को मन मे रखकर आगे जाने कि ताकद दुनिया मे होती है वह दूसरे पल के साथ आगे चलती जाती है जीवन कि अलग सौगाद नजर आती है 

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