Sunday 3 April 2016

कविता ५९९. दूर दिखनेवाला जहाज

                                                दूर दिखनेवाला जहाज
तूफानों को परख कर जहाज किनारे से टकराते है पर कई बार ऐसा भी होता है जहाज हवाओं के संग ही आगे बढते जाते है
तूफानों को समझकर आगे जाना ही जीवन मे हम हर बार समझ लेते है बिन परखे ही तो जीवन कि धारा मे हम आगे बढते जाते है
तूफानों से ज्यादा हम खुदकी खुशियों को ही जीना चाहते है उन्हे समझ लेना जरुरी समझ लेते है जीवन कि कहानी को समझकर आगे बढते रहना चाहते है
जहाज तो पानी के अंदर हर बार हिलते रहते है जहाजों को तूफानों मे अलग अलग दिशाओं मे लेकर चलते है जहाज कई बार तूफानों से उलझते है
जहाज हमे अपनी हस्ती कई बार देकर चलते है कभी दिखाते है वह राहों मे गुम होना और कभी सही राह को समझ लेना भी दिखाते है
जहाज जीवन मे कई एहसास मन के दिखाते है और जीवन के मकसद समझाकर जाते है जीवन मे जो हमे समझ ले वह उम्मीदे हम अक्सर पाते है
उन उम्मीदों को जहाजों के अंदर समझकर दुनिया को कई रंगों मे परख कर जाते है जहाज तो वह चीज है जिन्हे हम समझ लेना चाहते है
पर फिर भी किनारों से कितने दूर खडे उन जहाजों को कहाँ हम देख पाते है उन्हे कहाँ समझ पाते है जीवन के किसी किनारे मे ही खडे रह जाते है
तूफानों और आँधीओं से लढना हम चाहते है पर कभी कभी जहाज किनारे से कुछ इतने दूर रहते है की हम उन जहाजों को मुश्किल से ही समझ पाते है
जीवन मे पानी के अंदर जब हम तूफानों से लढना चाहते है पर जहाजों को कहाँ देख सकते है हम बस सोच कि ताकद से ही तो जीवन मे लढना सीख पाते है

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