Friday, 1 April 2016

कविता ५९४. हर सुबह कि शुरुआत

                                                     हर सुबह कि शुरुआत
हर सुबह एक उजाले कि उम्मीद लेकर आती है वह हर बार जीवन को बदलकर जाती है सुबह के उजाले मे जो ताकद छुपी होती है
वह ताकद जीवन के अंदर नई शुरुआत दे कर जाती है सुबह मे जीवन कि अपनी सोच फिर से जिन्दा होती है क्यो सोचे पुरानी सोच को क्योंकि हर सुबह नई उम्मीदे जिन्दा होती है
जीवन मे उसे हर बार सुबह मे नई शुरुआत देती है उस पल मे ही जीवन कि कहानी छुपी रहती है जो हमे जीवन देकर जाती है
हर बार नई शुरुआत अहम होती है जो जीवन मे सुबह कि रोशनी देकर जाती है हर सुबह मे जीवन मे सूरज कि कहानी छुपी होती है
उसी सूरज और समुंदर से नई कहानी सुनने कि शुरुआत होती है उन्ही हिस्सों से ही जीवन कि कहानी हर बार बन पाती है जो मतलब दे जाती है
उन्ही हिस्सों को परख लेने कि जरुरत हर बार होती है जिसे परख लेने कि जरुरत हर बार जीवन को मतलब दे जाती है हर सुबह मे नई सोच जीवन मे आती है
हर सुबह जीवन कि कहानी नई और अलग होती है जो नये किस्से हर मोड पर सुनाती है जिसे समझ लेने कि जरुरत हर बार अक्सर होती ही है
हर बार सुबह जीवन कि शुरुआत रोशनी कि किरण से ही तो उम्मीदे देकर आगे बढती है जो हमे उम्मीदों कि सौगाद देकर आगे जाती है
हर सुबह से सोच आगे बढती है हमे आगे लेकर जाती है रोशनी कि शुरुआत उस सुबह कि किरण से ही आगे लेकर जाती है हर सुबह कि हमे जरुरत होती है
सुबह कि शुरुआत ही तो मतलब देकर आगे बढती है हमे उसी सुबह कि जरुरत होती है जो जीवन मे उम्मीदे देकर आगे बढती जाती है

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