Tuesday 26 April 2016

कविता ६४४. जिन्दगी एक दुवा

                                                                  जिन्दगी एक दुवा
जिन्दगी को हर बार कोई दुवा दे जाना जरुरी होता है हमारा खुदका ही जीवन को चाहना साँस अलगसी दे जाना तो जरूरी है र्क्योंकि जीवन तो उसकी देन है
जिन्दगी को परखना जरुरी होता है जीवन को आगे ले जाता है  हर मोड को नये एहसास का असर हर पल कर जाता ही है जो खुशियाँ दे जाता है
जिन्दगी तो वह दुवा है जिसकी जरुरत जीवन मे हर बार होती है जिसकी किंमत हो तो ही दुनिया सुंदर बन पाती है जीवन कि चाहत हर बार होती ही है
हमे जिन्दगी को समझ लेने कि पसंद हर बार हर पल होती है हमे जीवन मे आगे बढने कि हर कदम पर जरुरत अक्सर बन जाती है जिसे पाना ही जीवन कि चाहत होती है
जिन्दगी मे कई किसम के असर तो होते ही रहते है उस से जिन्दगी बुरी नही हो पाती है जीवन में जिन्दगी की नई शुरुआत हर बार उम्मीदे देकर जाती है
जीवन में हर मौके पर जीवन को समझ लेने की जरूरत तो हर बार होती है जीवन में बातों को समझ लेने की अहमियत हर बार होती है जो जीवन को अलग मतलब देती है
जीवन में हमें आगे बढ़ने की चाहत ही तो हमे ताकद देकर जाती है दुनिया ही तो हमारी खुशियाँ तय कर पाती है जीवन में खुशियों को समझ लेने की जरूरत हर मोड पर होती ही है
जीवन में हर बार ताकद मन के अंदर जिन्दा हो जाती है जिसे समझकर आगे जाने में ही हमारी जरूरत होती है जीवन में सबसे जरूरी चीज उसकी उम्मीदें होती है
जो उन्हें जिन्दा रख पाये खुशियाँ बस उनकी होती है जीवन में आगे जाने की चाहत हर बार होती है जीवन ही तो हमारी दुवा और चाहत होती है
क्योंकि जीवन में आगे जाना ही जीवन कि जरूरत होती है जो हमेशा खुशियाँ देती है जीवन में आगे बढ़ना ही तो जीवन की सच्ची ताकद दुवा होती है 

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