Saturday 2 April 2016

कविता ५९६. जीवन के दर्द

                                                     जीवन के दर्द
कुछ लोग जो हरकत करते है उनके नतीजे कहाँ समझ के चलते है दूसरों के गमों मे साथ तो देते नही है पर खुद के गम मे दुनिया को रोते देखना चाहते है
जो दूसरे के दर्द समझकर आगे जाते है वही तो जीवन को मतलब देकर आगे बढते जाते है दर्द को जो दूसरे के किनारे करते है वह जीना खाक समझते है
जीवन मे अलग अलग सोच को परख लेने कि जरुरत हर बार होती है जिसे समझकर आगे जाने कि जरुरत दुनिया को हर मोड पर होती ही है
दर्द जो हम समझना और सहना जानते है उनके अंदर जीवन मे सही तरीके से समझकर आगे बढती रहती है जीवन को परख लेती है
जीवन मे अलग अलग तरीके से आगे बढने कि जरुरत तो हर बार होती ही है जो जीवन मे अलग असर का एहसास वह हर बार समझकर जाती है
दर्द को समझ लेना तो जीवन कि जरुरत होती है पर कई बार कई लोगों से वह जरुरत अनदेखी हो जाती है जीवन को मतलब दे जाती है
दर्द को पार कर खुशियों के ओर जब जीवन कि कहानी जाती है वह हर पल हमे नई उम्मीदे देकर नया विश्वास देकर आगे निकल जाती है
जीवन मे दर्द के आगे दुनिया कि कई कहानियाँ छुपी रहती है जो जीवन कि धारा को बदलकर दुनियाको जुदा कर के आगे बढती नजर आती है
दर्द जो समझ ले दुनिया बस उसकी ही होती है दुनिया तूफानों को कितना भी चाहे उसकी खुशियाँ किनारों से ही तो जीवन मे हर बार होती है
दर्द मे ही तो दुनिया कि हकीकत छुपी होती है क्योंकि दुनिया ही तो जीवन कि वह हकीकत होती है जो हमे हर पल रोशनी देकर आगे बढती जाती है

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