Friday 24 June 2016

कविता ७६३. हर जगह कि सोच

                                            हर जगह कि सोच ा
हर जगह पर कोई सोच हर बार इशारा करती है जीवन कि कहानी हर बार दुनिया का अलग सहारा बनती है जो जीवन को मतलब दे चलती है
किसी जगह पर जाने क्यूँ हमारी नजर बार बार कुछ इस तरह रुकती है जो जीवन कि दिशाए बदलती रहती है हर जगह मे कोई मतलब देकर चलती है
किसी जगह पर जीवन कि कहानी हर पल लिखी जाती है जिसे समझकर हर बार दुनिया रंग बदलकर चलती रहती है जीवन बदलती रहती है
जब जब जीवन कि जगह कोई अलग मतलब देकर चलती है वह धीमे धीमे हर कदम दुनिया को बदलकर आगे बढती चली जाती है
किसी जगह पर खुशियाँ है तो किसी जगह पर गमों कि बारीश भी चलती है हर जगह एक नई दुनिया दिखाकर किस्मत हर पल चलती है
जीवन को समझ लेने कि जरुरत हर पल तो होती रहती है जिसे परखकर आगे बढते ही जगह अक्सर अच्छी लगने लगती है
जीवन मे हर जगह पर कोई बात एक अलग तरह कि होती रहती है उसे समझकर आगे बढने से दुनिया हर पल रंग बदलती रहती है
किसी जगह को समझकर आगे बढने कि उम्मीद हर पल होती रहती है उस उम्मीद के बल पर दुनिया हर बार अलग रंगों पर चलती है
जगह के अंदर हर बार अलग एहसास कि सोच बदलती रहती है जिसे समझकर जीवन को परखकर दुनिया हर बार एहसास बदलकर चलती है
जगह मे दुनिया को समझकर आगे बढने कि जरुरत होती है जो रोशनी देकर हर पल आगे बढती चली जाती है रोशनी देकर जाती है

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